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जम्मू-कश्मीर में बनाया जा रहा है दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल, 2022 तक होगा पूरा

वह दिन अब दूर नहीं जब दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल भारत में होगा। जी हां, जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनाया जा रहा है। यह पुल फ्रांस की राजधानी पेरिस में बनें एफ़िल टावर से करीब 35 मीटर ऊंचा और 1.3 किलोमीटर लंबा होगा।  इस पुल का निर्माण पूरा होने पर यह पुल चीन के शुईबाई रेल ब्रिज का रिकॉर्ड तोड़ेगा, जिसकी ऊंचाई 275 मीटर यानी 902 फीट है।

उफनती चिनाब नदी के ऊपर जहां इस पुल का निर्माण कार्य जारी है, वहां परिंदे भी पर मारने से डरते हैं। जी हां, नदी के तल से इस पुल की ऊंचाई करीब 1178 फीट बताई जाती है, जबकि सतह से इसकी ऊंचाई 1056 फीट होगी। असल में इस पुल की ऊंचाई ही इसके सुर्खियों में आने की वजह बना हुआ है। निर्माण कार्य अगस्त 2022 तक पूरा होने की संभावना है। 

यह पुल कश्मीर घाटी को जम्मू व देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने की कड़ी के रूप में काम करेगा। यह पुल बक्कल और कौरी के बीच बन रहा है। पुल से गुजरने वाला रेल मार्ग कटरा और बनिहाल को जोड़ेगा। इस पुल के निर्माण के बाद कटरा से श्रीनगर तक के सफर का समय 5 से 6 घंटे कम हो जाएगा। 

इस रेलवे पुल परियोजना के साथ ही वैष्णो देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले को पर्यटन में बड़ी तेजी मिलने की उम्मीद भी जताई जा रही है। सलल जल-विद्युत बांध के पास बन रहा यह पुल एक गहरी खायी को पार करेगा। वाकयी बीते 150 साल के इतिहास में यह सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। बता दें जिस ऊंचाई पर इस पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है वहां पर पुल बनाने का अत्यधिक सामान व मशीनें हेलीकॉप्टर के द्वारा पहुंचाई गई है। 

इसमें 24 हजार टन लोहे और 5462 टन स्टील का इस्तेमाल किया जाएगा। पुल के निर्माण में लगने वाला स्टील ब्लास्ट प्रूफ है, जिससे किसी भी प्रकार के आंतकी हमले का कोई असर आसानी से नहीं होगा। इसके पिलर भी इस तरह डिजाइन किये गए हैं की इस पर किसी भी तरह के ब्लास्ट का असर नहीं होगा।

इंजीनियर इस पुल के ढांचे को बेहद मजबूती के साथ बना कर रहे हैं ताकि यह भविष्य में भूकंप के झटकों और तेज हवाओं को भी सह सके। इसके लिए पुल के निर्माण में सेल्फ कॉम्पेक्टिंग कॉन्क्रीट का इस्तेमाल किया गया है। यह एक स्पेशल टाइप का कॉन्क्रिट होता है जो इस पुल को और अधिक मजबूत बनाने का काम करेगा। इस पुल का स्ट्रक्चर कुछ-कुछ लक्ष्मण झूले के जैसा होगा। इसके साथ-साथ पुल के ऊपर एक प्लेटफॉर्म भी बनाया जाएगा ताकि इस पुल से गुजरने वाले यात्री यहां उतरकर इस घाटी का आनंद ले सकें।   

इस पुल पर हवा की गति को मापने के लिये सेंसर भी लगाए जा रहे हैं, जिससे की हवा की गति 90 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होने पर सिग्नल अपने आप लाल हो जायेगा और ट्रेन को पुल पर जाने से पहले ही रोक दिया जायेगा।

यह पुल एक ड्रीम प्रोजेक्ट है जो कश्‍मीर घाटी में व्यापार को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा और साथ ही भारतीय सेना के लिये रणनीति तय करते समय काम आएगा।

सोर्स – प्रसार भारती

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