पूर्वी लद्दाख में एक तरफ जहां दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव सीमा विवाद को लेकर चरम पर है और इसे सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत चल रही है, तो वहीं दूसरी ओर चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। 29-20 अगस्त को पैंगोंग त्सो में उसकी उकसावेपूर्ण कार्रवाई को भारतीय जवानों की तरफ से असफल करने के बाद एक बार फिर उसने 31 अगस्त (मंगलवार) को पूर्वी लद्दाख के चुमार में वास्तविक नियंत्रण रेखा के इस तरह घुसपैठ की कोशिश की। लेकिन, चौकस भारतीय जवानों ने उसके इस मंसूबे के कामयाब नहीं होने दिया और चीनी सैनिकों को वापस खदेड़ दिया।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को ब्रीफिंग के दौरान कहा, 31 अगस्त को जहां एक तरफ तनावपूर्ण स्थिति को कम करने के ग्राउंड कमांडर्स की बैठक हो रही थी तो दूसरी तरफ चीनी सैनिकों ने फिर उकसावेपूर्ण कार्रवाई की। लेकिन, समय रहते भारतीय पक्ष की रक्षात्मक कार्रवाई के बाद एकतरफा वस्तु स्थिति बदलने का उसका नापाक मंसूबा सफल नहीं हो पाया।
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि चीन ने उन बातों की अनदेखी की जिन पर पहले सहमति बनी थी और उकसावे वाली सैन्य कार्रवाई की और चीनी पक्ष ने पैंगोंग सो के दक्षिण तट के क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया। मंत्रालय ने कहा, हमने हालिया चीनी उकसावेपूर्ण और आक्रामक कार्रवाई का मुद्दा कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत में उठाया और उससे अनुशासन में रहने और फ्रंट लाइन सैनिकों को नियंत्रण कर ऐसी कार्रवाई न करने को कहा है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने आगे कहा वेस्टर्न सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के समेत सभी लंबित मुद्दों को भारतीय पक्ष बातचीत के जरिए सुलझाने को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे बताया कि भारत-चीन सीमा पर स्थिति के समाधान के लिए दोनों देशों के बीच पिछले तीन महीने से कूटनीतिक और सैन्य स्तरों पर लगातार बातचीत चल रही है।
गौरतलब है कि 29 और 30 अगस्त की रात चीनी सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले स्थल पर फिर घुसने की कोशिश की थी, लेकिन पहले से तैयार भारतीय जवानों ने जवाबी कार्रवाई में उन्हें खदेड़ दिया। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान दोनों देश के सैनिकों के बीच झड़प की भी बात सामने आई।
सेना के पीआरओ कर्नल अमन आनंद ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने पैंगॉन्ग त्सो झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सैनिकों की गतिविधि को पहले से भांप लिया था और घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि सेना के जवानों ने भारतीय पोस्ट को मजबूत करने और जमीन पर तथ्यों को एकतरफा बदलने के लिए चीनी इरादों को विफल करने की कार्रवाई की।
दोनों देशों के बीच पहली बार गलवान घाटी में 15 जून को एक हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन ने उसके हताहत हुए सैनिकों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी लेकिन अमेरिका खुफिया रिपोर्ट के अनुसार उसके 35 सैनिक हताहत हुए थे। भारत और चीन ने पिछले ढाई महीने में कई स्त्तर की सैन्य और राजनयिक बातचीत की है लेकिन पूर्वी लद्दाख मामले पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।
सोर्स – लाइव एच
