गुजरात में स्कूल फीस को लेकर अभिभावक परेशान हैं। कोरोना के मद्देनजर पिछले छह महीनों से स्कूल बंद हैं। हालांकि इस दौरान ऑनलाइन पढ़ाई जारी है। लॉकडाउन के चलते अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और वे प्राइवेट स्कूलों की फीस देने की स्थिति में नहीं है। दूसरी तरफ स्कूल भी अभिभावकों को कोई राहत देने के लिए तैयार नहीं। अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है। इसी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में स्वतंत्र होकर फैसला लेने के लिए कहा।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने अपने निवेदन में हाई कोर्ट से कहा था कि हमने प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के साथ कई बार बैठक की, लेकिन वे स्कूल फीस कम करने के पक्ष में नहीं हैं। अब इस मामले में हाई कोर्ट ही कोई फैसला ले। इसी मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा- आपके पास सत्ता है तो आपको हमारी मध्यस्थता की जरूरत क्यों। सरकार खुद ही स्वतंत्र होकर फैसला ले और उसका पालन भी करवाए।
इस बारे में अभिभावकों के वकील विशाल दवे ने बताया कि सरकार का निर्णय 25 फीसदी स्कूल फीस कम करने का है, लेकिन स्कूल संचालक इसे मानने को तैयार नहीं हैं। दवे ने आगे कहा कि 25 फीसदी फीस कम करने का निर्णय व्यावहारिक है और उसे स्कूलों को मानना चाहिए। अब हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद देखते हैं कि सरकार क्या कदम उठाती है। वैसे, राज्य सरकार के पास एपिडेमिक एक्ट और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की पॉवर है
सोर्स – लाइव एच
