उत्तर – पूर्वी दिल्ली में भड़की साम्प्रदायिक हिंसा के मामले के एक आराोपी को अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया है । अदालत ने कहा है कि सीसीटीवी कैमरे में आरोपी को दंगा भड़काते व गोली चलाते साफ देखा गया है । ऐसे गंभीर अपराध के आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता ।
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत ने आरोपपी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि वह गैरकानूनी तरीके से एकत्रित भीड़ का हिस्सा था । इतना ही नहीं उसने लोगों को हिंसा करने के लिए भड़काया । यह सब सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ । इसके बाद इस आरोपी ने घातक हथियार से गोली भी चलाई । इस आरोपी द्वारा चलाई गई गोली से कई राह चलते लोग व पुलिसकर्मी जखमी आरोपी की तरफ से पेश वकील अशोक र अदातल में कहा कि आरोपी का पहले कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है । वह घर का अकेला कमाने वाला सदस्य है । उसके घर के आर्थिक हालात अच्छे नहीं है ।
, वहीं , सरकारी वकील सलीम अहमद ने आरोपी की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी को गली में हाथ में ईंट व पत्थर के टुकड़े लिए साफ देखा जा सकता है । वह दूसरे समुदाय के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहा था । सरकारी वकील ने अदालत को यह भी बताया कि आरोपी की शिकायतकर्ता दिल्ली पुलिस के सहायक सब इंस्पेक्टर धर्मबीर ने सक्रिय दंगाई के तौर पर पहचान भी की है ।
पेश मामला 25 फरवरी 2020 का है । दंगाई बाबरपुर स्थित शिव मंदिर के सामाने एकठ्ठा हुए । वहीं नजदीक नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ समुदाय विशेष का धरना प्रदर्शन भी चल रहा था । दोनों पक्षों में भिड़त की स्थिति बनने पर पुलिस ने बीच – बचाव की कोशिश की तो वह भी दंगाइयों का शिकार बने । ज्ञात रहे कि दंगों से संबंध में पुलिस ने 750 मामल दर्ज किए हैं । पुलिस इनमें से 250 मामलों में अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है । इन आरोपपत्रों में 1153 लोग आरोपी बनाए गए हैं ।
(सोर्स हिंदुस्तान न्यूज)
