कोरोना महामारी ने हमारे कई अपनों को हमसे छीन लिया है, इनमें कई ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने अपना माता-पिता दोनों को खो दिया है। संकट की इस घड़ी में आए दिन सोशल मीडिया और अन्य सार्वजनिक प्लेटफार्म पर ऐसे बच्चों की फोटो डाली जा रही है, जिसे लेकर भारत सरकार गंभीर हैं।
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना महामारी की स्थिति में दबाव झेल रहे ऐसे बच्चों की जानकारी, उनकी तस्वीरें और संपर्क को सोशल मीडिया पर साझा नहीं किया जाना चाहिए। कानून के अनुसार उनकी पहचान सार्वजनिक नहीं की जानी चाहिए।
बच्चों की तस्करी का खतरा
केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि अगर किसी की जानकारी में कोई ऐसा बच्चा आता है, जिसके माता-पिता कोविड महामारी के कारण नहीं रहे हो और उसकी देखभाल करने वाला कोई ना हो, तो बच्चे की सूचना पुलिस, बाल कल्याण समिति या चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों का कानूनी रूप से गोद दिया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए अन्यथा यह बालक मानव तस्करी के शिकार हो सकते हैं।
1098 हेल्पलाइन पर दें जानकारी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि ऐसे बच्चे को बाल कल्याण समिति को दिया जाना चाहिए। केविड के समय में जिन भी बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया है, उन सभी बच्चों को ये जरूरी है कि जिले की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने प्रस्तुत किया जाए। कमेटी ही तय करेगी कि उन बच्चों को लीगली फ्री फॉर एडॉप्शन किया जाना है या उनके परिवार के साथ रखा जाना है। अगर किसी भी व्यक्ति को ऐसे किन्हीं बच्चों के बारे में पता चलता है, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है, तो वो 1098 हेल्पलाइन पर फोन करें, नजदीकी थाने में जाकर खबर करें अथवा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को बताएं।
