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आत्मनिर्भर भारत: नई पीढ़ी की ‘अग्नि प्राइम’ मिसाइल का किया सफल परीक्षण

भारत ने मिसाइल तकनीक में सोमवार को एक और नई सफलता अपने नाम दर्ज की। यह सफलता ‘आत्मनिर्भर भारत’ की संकल्पना की ओर बढ़ाया गया एक मजबूत कदम है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित मिसाइल अग्नि प्राइम (Agni Prime) का सोमवार को 12 बजे सफल परीक्षण किया गया। अग्नि सीरीज की मिसाइल्स में सबसे आधुनिक अग्नि प्राइम की मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किलोमीटर है। भारत ने सोमवार सुबह 10:55 बजे ओडिशा के तट डॉ अब्दुल कलाम टापू पर अग्नि सीरीज की इस नई मिसाइल ‘अग्नि-प्राइम’ का सफल परीक्षण शुरू किया था।

अग्नि प्राइम को कर सकेंगे मोबाइल लॉन्च से भी फायर

जानकारी के अनुसार नई परमाणु-सक्षम मिसाइल पूरी तरह से कंपोजिट मैटेरियल से बनी है और यह परीक्षण योजना के मुताबिक ही सफल हुआ। परीक्षण में कहीं किसी तरह की दिक्कत नहीं आई। आपको बता दें, अग्नि प्राइम को मोबाइल लॉन्च से भी फायर कर सकेंगे। डीआरडीओ के अधिकारियों ने कहा, ‘पूर्वी तट के किनारे स्थित टेलीमेट्री और रडार स्टेशनों ने मिसाइल पर नजर रखी और निगरानी की। पूरा लॉन्च प्लान के अनुसार हुआ। सटीकता के साथ सभी मिशन पूरे किए।’

अन्य मिसाइलों की तुलना में हल्की और अधिक पतली है

आंकड़ों के अनुसार, ‘अग्नि प्राइम’ एक छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 1000 किमी से 2,000 किमी होगी। यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जो लगभग 1,000 किलोग्राम का पेलोड या परमाणु शस्त्र ले जा सकती है। यह मिसाइल डबल स्टेड वाली मिसाइल ‘अग्नि-1’ की तुलना में हल्की और अधिक पतली होगी। मीडिया में जानकारी के अनुसार अग्नि प्राइम को 4,000 km रेंज वाली अग्नि 4 और 5,000 km वाली अग्नि 5 में इस्तेमाल होने वाली तकनीक को मिलाकर बनाया गयाा है।

पहली बार 1989 में अग्नि का हुआ था परीक्षण

आपको बता दें, भारत ने पहली बार साल 1989 में अग्नि का परीक्षण किया था। उस वक्त इस मिसाइल की मारक क्षमता 700 से 900 किलोमीटर थी। साल 2004 में इसे सेना में शामिल किया गया। भारत अब तक अग्नि सीरीज की पांच मिसाइलें विकसित कर चुका है।

अग्नि सीरीज की अन्य मिसाइलें

वहीं अग्नि- II को अन्य DRDO प्रयोगशालाओं के साथ उन्नत सिस्टम लेबोरेटरी द्वारा विकसित किया गया था और हैदराबाद स्थित भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा एकीकृत किया गया था।

अग्नि-द्वितीय मिसाइल के प्रोटोटाइप का पहला परीक्षण 11 अप्रैल, 1999 को किया गया था। आईटीआर से 17 मई 2010 को, विशेष सामरिक कमान द्वारा 2,000 किमी की दूरी के साथ परमाणु-सक्षम अग्नि-द्वितीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया गया था। इसके बाद भारतीय सेना द्वरा उपयोग किया जाना शुरू हुआ।

गौरतलब है कि अग्नि- III की पहुंच 3,000 से 5,000 किमी है, जबकि अग्नि- IV और अग्नि-V क्रमशः 3,500 से 4,000 किमी और 5,000 से 8,000 किमी के बीच के लक्ष्य को भेद सकती हैं।

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