Covid 19

कोरोना को हराने के लिए जर्मनी से भारतवंशी वायरोलॉजिस्ट डॉ. सारिका ने बताया अहम फॉर्मूला

वैश्विक महामारी कोरोना से भारत मजबूती के साथ जंग लड़ रहा है। इस कड़ी में भारत कोरोना की पहली लहर के बाद अब दूसरी लहर का सामना कर रहा है, जिसमें सभी देशवासी एकजुट होकर इस महामारी का मुकाबला कर रहे हैं। कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, वैज्ञानिक, स्वास्थ्यकर्मी, सेना, प्रशासन, स्वयंसेवी समूह सभी अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इस समय न केवल भारत में रह रहे लोग बल्कि दूसरे मुल्कों में बसे भारतवंशी भी देश की चिंता कर रहे हैं। इस बीच कोरोना वायरस को लेकर तमाम तरह की बातें भी सामने आई हैं। इसे लेकर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍लूएचओ) भी अब यह मानने लगा है कि शायद ही यह वायरस दुनिया से पूरी तरह समाप्त किया जा सके। यानि विश्‍व में मानव समुदाय को इस वायरस से संघर्ष करते हुए ही आगे अपना जीवन बिताना है।

अधिकतम टीकाकरण और इम्‍यूनिटी बढ़ाकर ही कोरोना को रोका जाना संभव

बताना चाहेंगे अलग-अलग एक्‍सपर्ट इस संबंध में अब अपना विचार रख रहे हैं। इसी क्रम में जर्मनी में रह रहीं वायरोलॉजिस्ट डॉ. सारिका अमडेकर ने भारत में पैदा हुए कोरोना हालातों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिस तरह से हिन्‍दुस्‍तान में पिछले कुछ दिनों में इस वायरस का प्रकोप देखने को मिला है, उसे सिर्फ अधिकतम टीकाकरण एवं इम्‍यूनिटी बढ़ाकर ही रोका जाना संभव है।

इन खास सुधारों के जरिए बचा जा सकता है किसी भी वायरस से

डॉ. सारिका बताती हैं कि भारत में कभी स्‍मॉल पॉक्‍स एवं चिकिन पॉक्‍स इसी तरह से फैला था। उसने देखते ही देखते अपने संक्रमण काल के दौरान लाखों लोगों को प्रभावित किया। उस दौरान कई लोगों की जान लेने में यह वायरस सफल रहा, लेकिन जैसे ही वैक्सीन दी जाने लगी और कुछ सुरक्षा उपाय, आहार व जीवनशैली में सुधार अपनाए गए तो यह वायरस भारतीयों के बीच से समाप्‍त होने लगा। आने वाली पीढ़ियों में भी फिर इसके उस तरह के लक्षण दिखाई नहीं दिए जैसे प्रारंभ में दिखाई देते थे। उन्होंने कहा कि यही बात हम कोविड-19 के साथ भी जोड़कर समझ सकते हैं।

सामुदायिक प्रतिरक्षण की क्षमता का विकसित होना भी है बहुत जरूरी

उन्होंने जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ जर्नल के पिछले साल छपे जिपस्याम्बर डिसूजा और डेविड डाउडी के शोध पत्र का उदाहरण देते हुए बताया कि अमेरिका में चेचक कंठमाला, पोलियो और खसरा जैसी संक्रामक बीमारियों का होना सामान्य बात थी, लेकिन लगातार इस को समाप्त करने को लेकर अनुसंधान होता रहा और आखिरकार वैक्सीन तैयार किए गए, जिसके बाद आज इन पर यहां पूरी तरह से नियंत्रण है। अब एक-आध ही कोई केस इनसे जुड़ा देखने को मिलता है। भारतीय वैज्ञानिक ने कहा कि सबसे जरूरी है सामुदायिक प्रतिरक्षण की क्षमता का विकसित होना, यह जितना अधिक होगा हम कोविड-19 जैसे वायरस से मुकाबला करने में उतने ही सक्षम बनेंगे।

हमारा शरीर है कई वायरसों से लड़ने में स्‍वत: सक्षम

डॉ. सारिका अमडेकर कहती हैं कि हमारा शरीर स्‍वयं से कई वायरसों से लड़ने में सक्षम है, जब शरीर कमजोर पड़ता है तभी बाहरी तत्‍वों का हमला बॉडी पर असर करता है। यदि शुरू से ही आपने अपने शरीर को मजबूत रखा है तो आपको पता ही नहीं चलेगा कई बीमारियां आपको छूकर निकल चुकी हैं। हमारे शरीर के ये एंटीबाडी हर बाहरी हमले को रोकने में फ्रंट लाइन का काम करते हैं। कोरोना वायरस के आक्रमण पर भी हमारा इम्यून सिस्टम तेजी से काम करता है और यह हिट एंड ट्रायल प्रक्रिया अपना कर शरीर की रक्षा करता है।

एंटीबाडी इम्मुनोग्लोबिन जी वायरस को करता है कंट्रोल

भारतीय वैज्ञानिक सारिका बताती हैं कि यहां एंटीबाडी इम्मुनोग्लोबिन जी सबसे पहले सक्रिय होता है यह अपने शुरूआती प्रभाव से ही वायरस को अपने कंट्रोल में करने का प्रयास करता है, इसके लिए यह शरीर के अन्‍य एंटीबाडी इम्मुनोग्लोबिन एम की मदद लेता है। इसके साथ ही हेल्पर सेल्स की मदद करने वालों में किलर टी सेल्स भी हैं, जो हमारे शरीर को बचाने के लिए बाहरी तत्‍वों से लगातार लड़ते रहते हैं। यही कारण है कि जिस मानव शरीर में इम्‍युनिटी सिस्‍टम मजबूत है, वह उतना ही इन बाहरी वायरसों से लड़ने में सक्षम दिखाई देते हैं। अभी भी कोरोना का असर सभी पर समान हो रहा है, ऐसा बिल्‍कुल भी नहीं है। परिवार के कई लोग संक्रमित के संपर्क में बार-बार आने के बाद भी बचे हुए हैं और कई दूर से कहीं संपर्क में आते ही सीधे प्रभावित हुए दिख रहे हैं। उसका कारण यही मजबूत इम्यूनिटी और कमजोर इम्यूनिटी का ही होना है।

विश्व के विकसित देश जो नहीं कर पाए वह भारत ने कर दिखाया

भारत में मोदी सरकार व राज्य सरकारों के काम लेकर भारतीय वैज्ञानिक डॉ. सारिका अमडेकर का कहती हैं कि केंद्र की सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में और राज्यों में प्राय: सभी मुख्यमंत्री इस वैश्विक महामारी से लड़ने एवं इसके प्रभाव को कम करने की दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। यह इसलिए भी कहा जा सकता है, क्योंकि आज मैं भारत के बाहर बैठी हूं और यहां से मुझे पूरी दुनिया में इस महामारी को लेकर क्या हो रहा है, वह बहुत साफ दिखाई दे रहा है। जब विकसित देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, जापान की सरकारें कोविड-19 संक्रमितों के अचानक से बढ़ने पर सकते में आ सकती हैं, उनकी सभी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं चरमरा जाती हैं और फिर जनसंख्या में भारत की तुलना में बहुत ही कम होने के बाद भी इस कोरोना के सामने अपने को असहाय महसूस कर सकती हैं तब भारत जैसे 135 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में आप कैसे कल्पना कर सकते हैं कि सिर्फ सरकारी व्‍यवस्‍थाओं के भरोसे इस महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है? सच तो यही है कि विश्व के शक्तिशाली देश जब इस महामारी के सामने असहाय दिखें हों, तब भारत का इससे मुकाबला निश्चित ही देखते बनता है।

डॉ. सारिका कहती हैं कि हम देख रहे हैं प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को, वे लगातार कभी जिला कलेक्‍टर्स से तो कभी राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों से तो कभी मेडिकल स्‍टाफर्स से बात करते दिखाई देते हैं। भारत में उनकी समस्याओं को जानकर उसे दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें जो सबसे अहम है सभी का मनोबल ऊंचा बनाए रखा जाए और ये कार्य करते आज मोदी जी नजर आ रहे हैं।

भारत ने दुनिया के देशों के बीच सबसे तेजी से किया टीकाकरण

डॉ. सारिका ने कहा कि मैं दोहराना चाहूंगी कि हम यहां भारत से दूर होकर जितना भी अपने देश के बारे में सोचते हैं। उतना ही हमें अपनी वर्तमान सरकार पर गर्व महसूस होता है, खासकर, इस वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ाई के संदर्भ में। सरकार ने जिस तरह से इतनी बड़ी जनसंख्या के बीच टीकाकरण अभियान चलाया हुआ है, वह तो बहुत उत्साह भर देने वाला है। भारत में 10 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की डोज जितने दिनों में दी गई, उससे अधिक समय अमेरिका और चीन को लगा है। अमेरिका और चीन में 10 करोड़ खुराक देने में 89 दिन और 102 दिन लगा गए। ये दो उदाहरण यहां इसलिए परफेक्‍ट हैं क्योंकि एक तकनीकी और आर्थिक संसाधनों में आगे है तो दूसरा जनसंख्या में लेकिन भारत में सिर्फ 85 दिनों में ही टीके की 10 करोड़ खुराक दे दी गई थी।

इस तरह भारत दुनिया का आज सबसे तेज टीकाकरण अभियान चलाने वाला देश दिखाई देता है। इतना ही नहीं तो सार्क देशों के साथ-साथ अन्य देशों में भी वैक्सीन पहुंचाकर सकारात्मक सहयोगात्मक पहल भारत की ओर से कोरोना के विरुद्ध देखने को मिली है, आज आम जर्मन भी इसके लिए भारत सरकार की प्रशंसा ही करता दिख रहा है।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ने और जीतने का सिर्फ यही उपाय है कि टीकाकरण के बाद भी अपनी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए आवश्यक पौष्टिक आहार लेते रहना, पर्याप्त आराम करना और भीड़ से बचकर रहना। भारतीय संस्कृति के अनुसार परंपरागत जीवनचर्या को अपनाएं और जो उत्सवधर्मिता हम सभी भारतीयों के खून में है, यदि उसे हम जहां जिस स्थिति में हैं, वहां कोविड नियमों का पालन करते हुए बनाए रखेंगे तो आप विश्वास मानिए भारतवासी इस कोरोना के महासंकट पर भी जल्‍द विजय पा लेंगे।

(इनपुट-हिन्‍दुस्‍थान समाचार)

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