सरकार ने साफ कर दिया है कि पूर्वोत्तर राज्यों में इनर लाइन परमिट हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है,इन संबंधित राज्य के किसी भी हिस्से में जाने के लिए परमिट की जरूरत
पूर्वोत्तर के राज्यों के कुछ हिस्सों में जाने के लिए जरूरी इनर लाइन परमिट ( आईएलपी ) को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है . केंद्र सरकार ने रविवार को यह बात स्पष्ट कर दी . केंद्र सरकार ने लोकसभा में हुए एक सवाल के जवाब में बताया है कि अरुणाचल प्रदेश , मिजोरम , मणिपुर और नागालैंड के हिस्सों में लागू इनर लाइन परमिट को हटाने की कोई तैयारी नहीं है . सरकार के जवाब से साफ है कि इन राज्यों के संबंधित हिस्सों में जाने के लिए भारतीयों को भी इनर लाइन परमिट लेना जरूरी रहेगा .
आंध्र प्रदेश के लोकसभा सांसद तालारी रंगैय्या ने गृहमंत्री से एक सवाल पूछा था कि क्या सरकार इनर लाइन परमिट को खत्म करना चाहती है, उन्होंने यह भी सवाल उठाए कि आजादी के इतने दिनों बाद भी इसको ना हटाए जाने का क्या कारण है।
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस सवाल का रविवार को लिखित जवाब देते हुए बताया कि इनर लाइन परमिट ( आईएलपी ) सिस्टम को खत्म करने का सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है . वर्ष 1873 में बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्यूलेशन के साथ आईएलपी सिस्टम अस्तित्व में आया . यह अरुणाचल प्रदेश , मणिपुर , मिजोरम और नागालैंड के कुछ हिस्सों में अस्तित्व में है . उन्होंने बताया कि जनजातियों की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने और जनजातीय भूमि पर उनके स्वामित्व की रक्षा करने और संसाधनों को बचाने के लिए इनर लाइन परमिट व्यवस्था लागू की गई थी ।
इनर लाइन परमिट क्या है
इनर लाइन परमिट को एक प्रकार से वीजा ऑन अराइवल कह सकते हैं . देश में आज भी कुछ राज्य ऐसे हैं , जहां भारतीयों को भी जाने के लिए अनुमति लेनी होती है . इसी अनुमति को इनर लाइन परमिट कहते हैं . यह एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज होता है . पूर्वोत्तर भारत में नागालैंड , मिजोरम , अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के कुछ हिस्सों में आज भी यह व्यवस्था चली आ रही है . कोई भारतीय बगैर अनुमति लिए इन राज्यों में इनर लाइन परमिट वाले हिस्से में नहीं घुस सकता।
