भारत के लिए यह बेहद खुशी की बात है कि लिंगानुपात के अंतर्गत स्त्री का जो अनुपात घट रहा था, उसमें जनसांख्यिकीय बदलाव देखने में आया है। जी हां, पहली बार महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक दर्ज की गई है। साथ ही लिंगानुपात ”1020” के मुकाबले ”1000” रहा है। यह जानकारी राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के निष्कर्षों से मिली है।
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या रही अधिक
स्त्रियों की संख्या 1000 के पार हो रही है तो इसका अर्थ है कि भारत आर्थिक प्रगति के साथ-साथ लिंगानुपात में भी विकसित देशों के समूह के बराबर आ रहा है। इसके लिए महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई तमाम योजनाओं का योगदान है। इन योजनाओं से लोगों में जागरूकता बढ़ी है। आज पुरुषों के समान महिलाओं को भी उनका हक मिल रहा है। महिलाओं में शिक्षा का प्रसार और आर्थिक सशक्तिकरण बेहद जरूरी है जिसके लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है।
चाहे वह सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक या सामाजिक हो प्रत्येक क्षेत्र में आज महिलाओं का योगदान नजर आता है। इस बदलते समाज में महिलाओं के सेक्स रेशियो में भी सुधार देखने को मिल रहा है। ”लाडली योजना और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं रही हैं, जो शैक्षिक व वित्तीय समावेशन, लैंगिक पूर्वाग्रह तथा असमानताओं से लड़ने में सार्थक रही। इन योजनाओं की सफलता के बाद इन्हें केंद्र सरकार द्वारा देशभर में लागू किया गया, इसी का परिणाम है कि आज घर-आंगन और देश-प्रदेश में लड़कियां उन्मुक्त भाव से खिलखिला रही हैं।
महिलाओं और बच्चों के विकास, देखभाल और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने विभिन्न योजनाओं, कानून, प्रक्रियाओं के सरलीकरण, जागरूकता फैलाने और सीखने की सुविधा प्रदान करने, पोषण, महिलाओं और बच्चों को उनकी पूर्ण क्षमता तक आगे बढ़ने, उन्हें मजबूत करने और विकसित करने में सक्षम बनाने के लिए संस्थागत और विधायी मदद तक पहुंच की सुविधा के तहत कई पहलों के माध्यम से विभिन्न उपाय किए हैं। वर्ष 2021 के दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की प्रमुख पहलें और उपलब्धियां कुछ इस प्रकार हैं:
महिलाओं की शादी की उम्र
महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए बाल विवाह निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2021 विधेयक 21.12.2021 को लोकसभा में पेश किया गया।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ”बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” एक जन आंदोलन बनी जिसके माध्यम से लैंगिक भेदभाव के चलन को चुनौती मिली, जिसके सकारात्मक परिणाम आज सभी के सामने है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर कई डाक्यूमेंट्री फिल्में तैयार कर सरकार ने उन्हें जनता को दिखाया। नाटकों के माध्यम से मैसेज समाज के उस तबके तक पहुंचाया जहां बेटियों का अस्तित्व और भविष्य खतरे में नजर आता था। खासतौर से ग्रामीण इलाकों में सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना को बेहतर आकार दिया।
आपकी जानकारी के लिए बता दें बीबीबीपी योजना बाल लिंगानुपात में कमी और महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में पीएम मोदी द्वारा ”22 जनवरी, 2015” को पानीपत, हरियाणा से शुरू की गई थी। वर्तमान में यह देश के 640 जिलों (जनगणना 2011 के अनुसार) में चलाई जा रही है। 640 जिलों में से 405 जिलों को बहु-क्षेत्रीय हस्तक्षेप के साथ-साथ डीएम या डीसी के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण में मीडिया एडवोकेसी के तहत शामिल किया गया है और सभी 640 जिलों को एडवोकेसी और मीडिया अभियान के माध्यम से शामिल किया गया है। इस योजना ने बालिकाओं के महत्व के प्रति राष्ट्र की मानसिकता को बदलने की दिशा में सामूहिक चेतना को जगाया है। यह राष्ट्रीय स्तर पर जन्म के समय लिंगानुपात में 19 अंकों के सुधार में परिलक्षित होता है। 2014-15 में लिंगानुपात 918 था जो 2020-21 में बढ़कर 937 (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का एचएमआईएस) हो गया है। और अब लिंगानुपात ”1020” के मुकाबले ”1000” हो चुका है।
पोषण ट्रैकर
महिलाओं और बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार को बढ़ावा देने के लिए एक पारदर्शी और सक्षम वातावरण बनाया जा रहा है जिससे स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती और प्रतिरक्षा का पोषण हो सकेगा। पूरक पोषण की वास्तविक समय निगरानी सुनिश्चित करने और सेवाओं के त्वरित पर्यवेक्षण और प्रबंधन पर जानकारी प्रदान करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी पर आधारित पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन बनाया गया है। साल 2021 तक, 12.27 लाख आंगनवाड़ी के जरिए लगभग 9.85 करोड़ लाभार्थियों का पोषण ट्रैकर में डेटा उपलब्ध है।
