पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुए केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आज तीन बड़े फैसले लिए गए हैं। सरकार ने बाजार सत्र 2021-22 के लिए खरीफ की फसलों पर एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दे दी है। बुधवार को इसकी जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी तिल की फसल (452 रुपये प्रति कुंतल) पर की गई है। इसके बाद तुअर और उड़द (300 रुपये प्रति कुंतल) पर भी एमएसपी बढ़ाई गई हैं। सरकार ने खरीफ की फसलों पर 50 फीसदी तक एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पिछले सात साल से किसानों के हित में फैसले ले रही है और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए चर्चा करने के लिए हर वक्त तैयार है।
1940 रुपये प्रति कुंतल हुआ धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल के मुकाबले 72 रुपये बढ़कर 1940 रुपये प्रति कुंतल हो गया है, जबकि पिछले साल यह राशि 1868 रुपये प्रति कुंतल थी। जानकारी के लिए बता दें कि एमएसपी वह दर होती है जिस दर से सरकार किसानों से खाद्यान्न खरीदती है।
MSP है और MSP आगे भी रहेगी: नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विगत 7 वर्षों में लगातार कृषि के क्षेत्र में एक के बाद एक अनेक ऐसे निर्णय हुए हैं, जिससे किसान की आमदनी बढ़े। उन्होंने कहा कि किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित हों, किसान के घर में खुशहाली आए और खेती फायदे का सौदा बने। उन्होंने कहा कि एमएसपी है और एमएसपी आगे भी जारी रहेगी। इस सम्बन्ध में लगातार रबी और खरीफ की MSP घोषित भी की जा रही है। MSP चल रही है, MSP बढ़ रही है और MSP पर खरीद भी बढ़ रही है।
DBT के माध्यम से 1,53,515.20 करोड़ रूपए किये गए हस्तांतरित
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि रबी विपणन मौसम 2020-21 (6 जून 2021 तक) में धान की खरीद के लिए किसानों को सीधे DBT के माध्यम से 1,53,515.20 करोड़ रूपए हस्तांतरित किए गए हैं। जानकारी के लिए बता दें कि रबी विपणन मौसम 2020-21 (6 जून 2021 तक) में गेहूं की खरीद के लिए किसानों को सीधे DBT के माध्यम से 82,347.39 करोड़ रूपए हस्तांतरित किए गए हैं।
रेलवे को 700 MHz फ्रीक्वेंसी बैंड में 5 MHz स्पेक्ट्रम का आवंटन
रेलवे यातायात को और अधिक सुरक्षित करने के लिए 4G स्पेक्ट्रम का रेलवे को और अधिक आवंटन किया गया है। अभी तक रेलवे 2G स्पेक्ट्रम का उपयोग करती थी। अब 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को 700 मेगाहर्ट्ज के बैंड में दिया जायेगा। इससे रेलवे के संचार व्यवस्था और सुरक्षा में बहुत फर्क पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अभी तक रेलवे का कम्युनिकेशन ऑप्टिकल फाइबर के द्वारा होता था, लेकिन अब अत्याधुनिक स्पेक्ट्रम मिलने के कारण ये अब रेडियो कम्युनिकेशन होगा। यह रियल टाइम होगा, जिससे सुरक्षा बढ़ेगी। इससे लोगों को अधिक सुविधा मिलेगी, ज्यादा रेल चलेगी और रेल की गति बढ़ेगी।
इस स्पेक्ट्रम के साथ, केंद्रीय कैबिनेट ने रेलमार्ग पर एलटीई (लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन) आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार प्रदान करने की भी मंजूरी दी है। इस दौरान कुल 34000 किमी का ट्रैक इसमें कवर किया जायेगा, जिसमें 25,000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
स्वदेशी रूप से विकसित ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन को मिली मंजूरी
इसके अलावा, भारतीय रेलवे ने स्वदेशी रूप से विकसित एटीपी यानी कि (ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन), टीसीएएस (ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम) सिस्टम को मंजूरी दी है, जो दो ट्रेन दुर्घटना से बचने में मदद करेगा, जिससे दुर्घटनाएं कम होंगी और यात्री सुरक्षा सुनिश्चित होगी। यह व्यवस्था मेक इन इंडिया के तहत चार भारतीय कंपनियों ने बनाई है।
इस बैठक में रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड में संशोधन के साथ नई निवेश नीति (एनआईपी)-2012 की प्रायोज्यता के विस्तार को भी मंजूरी दी गई है।