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कारगिल विजय दिवस: अंतिम सांस तक लड़ते रहे वीर सपूत

वर्ष 1999 में करीब 60 दिन तक चले कारगिल युद्ध में भारत के वीर सपूतों ने अपनी बहादुरी से फतह की एक बेसिमाल तारीख लिखी थी। वह तारीख है 26 जुलाई 1999। कारगिल युद्ध तब जम्मू-कश्मीर के लद्दाख के कारगिल-द्रास सेक्टर में हुआ था। और दुनिया में सबसे ऊंचाई पर लड़ा गया युद्ध था। हर साल कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान में इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया, नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख वाइस एडमिरल जी.अशोक कुमार और सीआईएससी वाइस एडमिरल अतुल जैन ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।

गुप्त रूप से सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने के मंसूबे बना रहा था पाकिस्तान

जम्मू-कश्मीर के कारगिल-द्रास सेक्टर में, जो अब लद्दाख में है, पाकिस्तान की सेना ने अपने सैनिकों की घुसपैठ करा कर क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए भेजा। लद्दाख और कश्मीर के बीच के संपर्क को काट देना उनका मुख्‍य लख्‍य था। साथ ही भारतीय सीमा में घुस कर नापाक हरकतों को अंजाम देना भी।। 1998-1999 में सर्दियों के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने गुप्त रूप से सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने के इरादे से इस क्षेत्र के कारगिल के पास सैनिकों को भेजना शुरू कर दिया। पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा पार की और भारत के नियंत्रण वाले क्षेत्र में प्रवेश कर गई। पाकिस्तान का ये भी मानना था कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का तनाव पैदा करने से कश्मीर को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी, जिससे उसे शीघ्र समाधान करने में मदद मिलेगी।

रात भर चढ़ाई करते थे जवान

3 मई 1999 को पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरुआत की, जब उसने लगभग 5,000 सैनिकों के साथ कारगिल के चट्टानी पहाड़ी क्षेत्र में उच्च ऊंचाई पर घुसपैठ की और उस पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के उद्देश्‍य से भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया। आपको बता दें कि उस समय घुसपैठिए ऊंचाई पर थे जबकि भारतीय जवान काफी नीचे थी, इसलिए दुश्मन पर हमला करना बेहद कठिन था।

इसलिए भारतीय जवान कवर के नीचे या रातभर चढ़ाई करते, जो बेहद जोखिम भरा था। कारगिल युद्ध के दौरान एक समय ऐसा भी आया था कि बर्फ से ढकी कारगिल की चोटियों पर गोला-बारूद खत्म हो गया था, इसके बाद भी भारत मॉं के वीर सपूत दुश्मनों से लड़ते रहे। बहादुर भारतीय सैनिक एक-एक कर चोटियों पर चढ़ते गए और पाकिस्तानी सेना के बंकरों को नेस्तनाबूत करते गए। 26 जुलाई को आखिरी चौकी पर कब्जा कर लिया और पाकिस्तान सैन्य दल का खदेड़ दिया।

यद्ध में करीब दो लाख पचास हजार बम दागे

यह युद्ध 1999 में मई से जुलाई में माइनस 10 डिग्री सेल्सियस के तापमान में लड़ा गया था। इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बम का इस्तेमाल किया गया था। लगभग दो लाख पचास हजार बम दागे गए। साथ ही 300 से अधिक मोर्टार, तोप और रॉकेट का भी इस्तेमाल किया गया था। कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह एकमात्र युद्ध था, जिसमें दुश्मन सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी। अंत में, भारत ने एक निर्धारित जीत हासिल की।

युद्ध से जुड़े कई और तथ्य

3 मई, 1999 को कारगिल में पाकिस्तानी सेना द्वारा घुसपैठ करने की सूचना एक चरवाहे द्वारा भारतीय सेना को दी गई थी।

भारतीय वायुसेना ने 26 मई को सेना के समर्थन में ऑपरेशन सफेद सागर के तहत अपना हवाई अभियान शुरू किया। जिसमें भारतीय मिग -21, मिग -27 और मिराज -2000 लड़ाकू विमानों ने कारगिल युद्ध के दौरान रॉकेट और मिसाइल दागे।

भारतीय नौसेना ने तेल और ईंधन की आपूर्ति को रोकने के लिए कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी बंदरगाहों, विशेष रूप से कराची में नाकाबंदी करने के लिए ऑपरेशन तलवार शुरू किया था।

भारत से घबराए पाकिस्तान ने अमेरिका से हस्तक्षेप करने के लिए कहा, लेकिन तब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया और पाक से कहा कि इस्लामाबाद को नियंत्रण रेखा से अपने सैनिकों को वापस लेना चाहिए।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीय पक्ष की आधिकारिक मृत्यु 527 और पाकिस्तानी सेना के 357 से 453 जवान मारे गए थे।

14 जुलाई को तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा कारगिल युद्ध की जीत की घोषणा की गई थी, लेकिन कारगिल विजय दिवस की आधिकारिक घोषणा 26 जुलाई को की गई थी।

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