सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का हलफनामा भारतीय जनसंघ / भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में मील का एक पत्थर माना जा सकता है । हलफनामे में कहा गया कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण के तहत बच्चों की एक निश्चित संख्या थोपने के खिलाफ है ; दंपति को अपने परिवार का आकार तय करने का अधिकार है । कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2000 में कुल प्रजनन दर 3.2 थी , जो 2018 में 2.2 पर आ गई । अतीत की , संघ परिवार की घोषित परिवार नियोजन नीति का यह नकार है । संघ साहित्य में अभी तक पढ़ते आए हैं कि मुसलमान चार – चार शादियां कर बहुत सारे बच्चे पैदा करते हैं , जिससे भारत कई दशक बाद हिंदू बहुल नहीं रह पाएगा । इस प्रक्रिया को रोकने के लिए अनिवार्य परिवार नियोजन की मांग की जाती रही । पिछली जनगणना का निष्कर्ष था कि मुसलमानों में जन्म दर कम हो रही है । कई हलकों में आशंकाएं तब भी बनी रहीं ।
यह भारत का नया विचार हुआ या अनुभवों पर आधारित निष्कर्ष ? जाहिरा तौर पर संघ के विचारों से प्रभावित , हर्ष मधुसूदन और राजीव मंत्री की नवीनतम पुस्तक अ न्यू आइडिया ऑफ इंडिया के पन्नों से इस तरह के सवाल निकलते हैं । स्वाभाविक है , लेखक द्वय पाठक के मन में चित्रांकन करते हैं कि पहले वाजपेयी और अब मोदी के कार्यकाल में भारत के नए विचार पर अमल हो रहा है । पुस्तक के प्रारंभ में जवाहर लाल नेहरू के एक चर्चित भाषण से लंबा उद्धरण दिया गया है , जो लेखकों की बौद्धिक ईमानदारी का सबूत है । 1961 में कांग्रेस के अधिवेशन में नेहरू ने कहा था , ‘ इतिहास की शुरुआत से ही भारत के लोग हमेशा मानते रहे हैं कि उनका संबंध एक महान देश से है । एक देश , एक संस्कृति की अनुभूति एकता के सूत्र में पिरोए रही है । यह समान विचार और समान आकांक्षा कदाचित हजारों साल पहले हजारों साल से यह भूमि दिल , दिमाग और आध विरासत में हमारी अपनी रही है ।
(सोर्स अमर उजाला)
