महामना मदनमोहन मालवीय जी के सपनों को साकार करते बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने पहली बार हिंदू धर्म को एक विषय के रूप में पढ़ाने का निर्णय लिया है। विद्यार्थियों को इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्राचीन ज्ञान, परंपरा, कला, विज्ञान और कौशल जैसे विषयों में परांगत किया जाएगा।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) इस कोर्स को 40 सीटों के साथ शुरू कर रहा है और यह इस पाठ्यक्रम ( हिंदू धर्म) की अवधि दो साल का निर्धारण किया गया है, और इस कोर्स के लिए आप 7 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं। पाठ्यक्रम के लिए छात्रों को चयनित करने के लिए 3 अक्टूबर को एक प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी।बीएचयू के कुलपति विजय कुमार शुक्ला ने अनुसार, यह हमारे देश में हिंदू धर्म का पहला डिग्री कोर्स होगा। पहले, हिमाचल विश्वविद्यालय में केवल एक डिप्लोमा कोर्स चल रहा था। उन्होंने कहा कि हम विश्वविद्यालय में अन्य संस्कृतियों, परंपराओं जैसे ईसाई धर्म, इस्लाम के बारे में अध्ययन करा रहे थे लेकिन अभी तक हिंदू धर्म का कोई कोर्स नहीं था।
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए स्मार्ट कक्षाएं आयोजित की जाएंगी और अन्य बाहर देशों के छात्र जो इस विषय में अध्ययन करना चाहेंगे वो भी पाठ्यक्रम का हिस्सा हो सकते हैं।उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में विदेशी छात्रों के आवेदन हिंदू धर्म में अन्य देशों की रुचि को दर्शाता हैं। इस पाठ्यक्रम का संचालन दर्शन विभाग द्वारा किया जाएगा जो हिंदू धर्म की आत्मा, महत्वाकांक्षाओं और हिंदू धर्म की रूपरेखा की व्याख्या करेगा, जबकि प्राचीन इतिहास और संस्कृति विभाग प्राचीन व्यापारिक गतिविधियों, वास्तुकला, हथियारों, महान भारतीय सम्राटों द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरणों पर प्राचीन साक्ष्य का विस्तार करेंगे। इसमें संस्कृत विभाग मंत्रों के द्वारा शास्त्रों, वेदों और प्राचीन अभिलेखों के व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा करेगा।
विजय कुमार शुक्ला ने कहा कि छात्र प्राचीन युद्ध शिल्प, हिंदू रसायन विज्ञान, सैन्य विज्ञान, कला, शास्त्रीय संगीत आदि के ज्ञान से खुद को समृद्ध करेंगे कर सकेंगे और हिन्दू धर्म के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
बीएचयू
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के पवित्र शहर में स्थित शिक्षा का एक अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित मंदिर है। इस रचनात्म और अभिनव विश्वविद्यालय की स्थापना महान राष्ट्रवादी नेता पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1916 में डॉo एनी बेसेंट जैसी महान हस्तियों के सहयोग से की थी, जिन्होंने इसे भारत विश्वविद्यालय के रूप में देखा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय संसदीय कानून के अंतर्गत था – बी.एच.यू. अधिनियम 1915. इसने स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत में शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र के रूप में विकसित हुआ।
