पहले आतंकी उंचाई वाली पहाड़ी इलाकों और लोगों के घरों में छिपा करते थे, लेकिन अब यह तरकीब पुरानी हों गए तो उन्होंने सेना से छुपने के लिए नई तरकीब सोच निकाली है वह है अंडरग्राउंड बंकर, ये बंकर घने जंगल में भूमिगत या फिर मौसमी नदियों में बंकर बनाकर उसमें छुप जाते हैं, पहले ये कश्मीर की घाटियों में यह काम करते थे अब ये शोपियां और पुलवामा में बंकर में छिपने का काम कर रहे हैं, शोपियां में इनकी संख्या ज्यादा है , क्योंकि वह सेब के बहुत घने जंगल है
सेना की काउंटर इनसर्जेंट यूनिट 44 राष्ट्रीय राइफल्स ने अधिकतम आतंकवादियों को मारा , पकड़ा या उनका आत्मसमर्पण कराया है । इस यूनिट की कमान संभाल रहे कर्नल एके सिंह और उनकी टीम को अक्सर स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए उनसे मिलते – जुलते देखा जा सकता है । इस बातचीत के दौरान करियर संबंधी सुझाव देने से लेकर शिक्षा संबंधी उनकी बातों को सुनना शामिल रहता है । आतंकवादियों पर अंकुश लगाने के मामले में भी वे काफी आगे हैं । अब तक उन्होंने 47 आतंकवादियों को मार गिराया है और सात को हिरासत में लिया है या उनका आत्मसमर्पण कराया है ।
किस प्रकार बंकर का इस्तेमाल कर रहे आतंकी
भूमिगत बंकरों के मिलने के बाद स्थिति आसान नहीं थी क्योंकि यहां बिना सुरक्षा बलों की नजर में आए आतंकवादी कई दिनों तक छिपे रह सकते हैं । इन दोनों ही इलाकों को आतंकवादियों के गढ़ के तौर पर देखा जाता है । जलस्तर के उतार चढ़ाव और अचानक आने वाली बाढ़ से प्रभावित रहने के लिए चर्चित इलाके रामबी अरा के बीच में कोई बंकर मिलना सुरक्षाबलों के लिए किसी अचरज से कम नहीं था और इसने सेना योजना पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया ।
सेना इसको लेकर तैयार
आतंकियों के हर चाल का जवाब देने के लिए सेना ने पूरी तैयारी कर ली है,चाहे पहले श्रीनगर के पहाड़ी में छिपना हो या लोगों के घरों में जोर जबरदस्ती शरण लेना हो ,चाहे फिर वह बंकर बनाकर छिपने की नाकाम कोशिश हो।
