भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाणे बृहस्पतिवार को विशाखापत्तनम में भारतीय नेवी को स्टील्थ लड़ाकू युद्धपोत ‘ आईएनएस कावारत्ती ‘ सौंपेंगे । यह प्रोजेक्ट -28 के तहत स्वदेश में निर्मित चार पनडुब्बी निरोधी जंगी स्टील्थ पोत में से आखिरी जहाज है । तीन युद्धपोत इससे पहले ही भारतीय नेवी को सौंपे जा चुके हैं ।
आईएनएस कावारत्ती का डिजाइन भारतीय नेवी के अंदरूनी संगठन नौसेना डिजाइन महानिदेशालय ( डीएनडी ) ने तैयार किया है और इसका निर्माण कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने किया है । नेवी अधिकारियों के मुताबिक , आईएनएस कावारत्ती को पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें ठिकाने लगाने के लिए स्वदेश निर्मित अत्याधुनिक हथियार और सेंसर सूट क्षमता से लैस किया गया है ।इसके अलावा नौसेना के पास तीन और ऐसे ही युद्धपोत हैं . कवरत्ती जीआरएसई द्वारा निर्मित 104 वां पोत होगा . इसका 90 फीसदी हिस्सा स्वदेश निर्मित हैं और नई तकनीक की मदद से इसकी देखरेख की जरूरत भी कम होगी . रक्षा सूत्रों ने बताया कि पोत परमाणु , केमिकल और बायलॉजिकल युद्ध की स्थिति में भी काम करेगा .
नौसेना की ताकत में होगा इजाफा
रडार की पकड़ में नहीं आने के कारण इससे नौसेना की ताकत में इजाफा होगा . इसके अलावा तीन ऐंटी – रडार और ऐंटी – सबमरीन पोत हैं- आईएनएस कमोर्ता , आईएनएस कदमत और आईएनएस किलतान . ये नाम लक्षद्वीप द्वीपसमूह के द्वीपों के नाम पर रखे गए हैं .
बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले युद्धपोत से लिया नाम
आईएनएस कावारत्ती का नाम 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तानी गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले युद्ध में अपने अभियानों के जरिये अहम भूमिका निभाने वाले युद्धपोत आईएनएस कारावत्ती के नाम पर मिला है । भूतपूर्व आईएनएस कावारत्ती अरनाक्लास मिसाइल युद्धपोत था ।
