तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने के चीन के ऐलान के बाद भारत भी इस पर अरुणाचल प्रदेश में बड़ा बांध बनाने की तैयारी कर रहा है । यह पूर्वोत्तर को पानी की कमी और बाढ़ जैसे खतरों से बचाएगा । इतना ही नहीं , अरुणाचल में 10 गीगावाट का हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट भी लगाने की भी योजना है । विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रह्मपुत्र पर भारत द्वारा बनाए जाने वाला बांध चीन के प्रभाव कम कर देगा ।
बांध की जरूरत जल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी टीएस मेहरा ने कहा , चीनी बांध के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए अरुणाचल में बड़े बांध की जरूरत है । यह प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है । बांध बन जाने से भारत के पास ज्यादा पानी भंडारण करने की क्षमता होगी ।
मेहरा ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में अच्छी वर्षा के कारण मानसून के दौरान भारत में ब्रह्मपुत्र नदी का 90 प्रतिशत पानी उसकी सहायक नदियों से होकर आता है । सर्दियों में सियांग नदी का 80 प्रतिशत पानी ऊपरी जलधारा से आता है और हिमनद इसका मुख्य स्रोत हो जाता है । जलशक्ति मंत्रालय के एक और अधिकारी ने कहा कि परियोजना पर 1980 के दशक से ही चर्चा चल रही है । उन्होंने इसके क्रियान्वयन में अड़चनों का उल्लेख किया । पिछले सप्ताह पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन ऑफ चाइना के अध्यक्ष यान झियोंग ने कहा था कि बीजिंग ‘ यारलुंग जांगबो ( ब्रह्मपुत्र नदी का तिब्बती नाम ) के निचले हिस्से में पनबिजली का काम शुरू करेगा और परियोजना से जल संसाधन को बरकरार रखने और आंतरिक सुरक्षा में मदद मिलेगी । ‘
