टेक की दिग्गज कंपनियां फेसबुक , ट्विटर और गूगल के सीईओ अमेरिकी सीनेट की वाणिज्य समिति के सामने आज पेश होंगे । तीनों स्वेच्छा से गवाही देने के लिए तैयार हुए थे । इस दौरान सांसद इंटरनेट कंपनियों की रक्षा करने वाले एक प्रमुख कानून के बारे में इन कंपनी के सीईओ से सवाल – जवाब करेंगे ।
अमेरिकी चुनाव में अब महज कुछ ही दिन बचे है . इस बीच दिग्गज टेक कंपनियां गूगल , फेसबुक और ट्विटर को तगड़ा झटका लगा है . दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में रिपब्लिकन ने इन कंपनियों खिलाफ सोशल मीडिया पर शिकायतों की बौछार कर दी है , इन कंपनियों पर आरोप लगाया गया है कि ये जानबूझकर रूढ़िवादी , धार्मिक और गर्भपात विरोधी विचारों को दबाने के सबूत के बिना आरोप लगाते हैं . अब चुनाव से पहले ही इन कंपनियों के सीईओ को अमेरिकी सीनेट के सामने हाजिर होना है .
फेसबुक और ट्विटर ने शुक्रवार को इस बात की पुष्टि की थी । फेसबुक और ट्विटर ने बताया था कि उनके सीईओ क्रमश : मार्क जुकरबर्ग और जैक डोरसी समिति के सामने 28 अक्तूबर को पेश होंगे । सूत्रों के अनुसार , अल्फाबेट के स्वामित्व वाले गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई भी गवाही देने आएंगे । यह जानकारी उस फैसले के एक दिन बाद सामने आई है जब समिति ने तीनों कंपनियों के सीईओ को गवाही देने के लिए बुलाने की योजना को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी थी । जैक डोरसी ने ट्वीट कर कहा था , ‘ सुनवाई रचनात्मक और इस बात पर केंद्रित होनी चाहिए कि अमेरिकी लोगों के लिए क्या ज्यादा मायने रखता है और हम चुनावों की रक्षा के लिए एक साथ कैसे काम करते हैं । ‘
विज्ञापन पर रोक
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई , फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग और ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी को बुधवार को अमेरिकी सीनेट के सामने उपस्थित होना है . सीनेट की -कॉमर्स कमिटी के सामने लगे आरोपों पर ये अपनी सफाई रखेंगे . बताया जा रहा है कि फेसबुक कोई भी नया राजनितिक विज्ञापन जारी नहीं कर पाएंगे . हालांकि पुराने विज्ञापन चलते रहेंगे . गूगल भी चुनाव बंद होने के बाद राजनीतिक विज्ञापनों को रोक रहा है . वहीं ट्विटर ने चुनाव बंद होने के बाद सभी राजनीतिक विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया है .
आरोपों की बौछार
इन कंपनियों पर चुनाव के बारे में गलत सूचना फैलाने के प्रयासों के आरोप लगाए गए हैं . ट्रंप के नेतृत्व में रिपब्लिकन पार्टी ने इन टेक कंपनियों के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्स पर शिकायतों की बौछार कर दी है , गूगल , फेसबुक , ट्विटर समेत कई टेक कंपनियों पर रूढ़िवादी , धार्मिक और गर्भपात विरोधी विचारों को दबाने के सबूत के बिना आरोप लगाते हैं .
