तालिबान के जिहादियों के अफगानिस्तान में कब्जे के बाद लोग अफगानिस्तान छोड़कर किसी भी प्रकार से बाहर निकलना चाहते हैं। वो इन बहसी दरिंदों के शासन में नहीं जीना चाहते हैं, लोग बड़ी संख्या में पड़ोसी देशों की तरफ पलायन कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ काबुल में रतन नाथ मंदिर के पुजारी पंडित राजेश कुमार ने अपनी जान बचाने के लिए काबुल से भागने से इनकार कर दिया।
अफगानिस्तान में अब तालिबान का अधिकार हो चुका है राष्ट्रपति असरफ गनी पैसो से भरी गाड़ी लेकर देश छोड़कर भाग गए हैं ।अमेरिका ने अपने दूतावास और अफगानिस्तान के नागरिक जिन्होंने अमेरिका की मदद की थी उनको निकालना शुरू कर दिया है ,भारत सरकार ने भी अफगानिस्तान में रह रहे अपने नागरिकों को वहां से वापस लाने के लिए पूरी तैयारी में जुटी हुई हैं। रविवार को एयर इंडिया के विमान से 129 लोग वापस भारत लौट आए हैं और भारत सरकार वहां के अल्पसंख्यक सिखों और हिंदुओं के लगातार संपर्क में हैं ,और उनके लिए भारत के दरवाजे पूरी तरह से खुले हुए हैं , लेकिन इसी बीच काबुल में रतन नाथ मंदिर के पुजारी पंडित राजेश कुमार ने अपनी जान बचाने के लिए काबुल से भागने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि “कुछ हिंदुओं ने मुझसे काबुल छोड़ने का आग्रह किया और मेरी यात्रा तथा ठहरने की व्यवस्था करने की पेशकश की। लेकिन, मेरे पूर्वजों ने सैकड़ों वर्षों तक इस मंदिर की सेवा की। मैं इसे नहीं छोड़ूंगा। अगर तालिबान मुझे मारता है, तो मैं इसे अपनी सेवा मानता हूं।” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुखपत्र ऑर्गनाइजर (Organiser) ने यह बातें अपनी रिपोर्ट में लिखी हैं।उनका कहना है कि तालिबान उन्हें भले ही मार दे लेकिन वो मंदिर नहीं छोड़ेंगे जानकारी के अनुसारकुमार संभवतः काबुल के आखिरी पुजारी हैं।
इसके पहले ऑर्गनाइजर ने रिपोर्ट दी थी कि इस्लामी कट्टरपंथियों के आक्रमण की संभावना के चलते अफगानिस्तान के आखिरी यहूदी जैबुलोन सिमन्तोव (Zabulon Simantov) ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था। हेरात में जन्मे और पले-बढ़े सिमन्तोव के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद यहूदी-अफगान संबंधों का 2000 साल पुराने इतिहास का एक अध्याय समाप्त हो गया।
