“शक्ति की करो मौलिक कल्पना, करो पूजन।
छोड़ दो समर जब तक न सिद्धि हो, रघुनन्दन!”
- निराला जी
कोरोना के चलते एक तरफ जहां स्कूल ,कॉलेज लगातार बंद चल रहे हैं , छात्रों की शिक्षा लगातार बाधित चल रही है ।ऐसे मौके पर विद्यार्थियों के लिए लगातार आवाज उठाने वाली उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद देश भर के विभिन्न हिस्सों में परिषद की पाठशाला चलाकर छात्रों की शिक्षा बाध्य ना हो, इसके लिए लगातार प्रयास कर रही है ।यह कार्यक्रम देश भर के अनेक हिस्सों में चल रही है और भारी संख्या में छात्र इसमें हिस्सा ले रहे हैं ।इस परिषद की पाठशाला में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा जिनको पाठशाला की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है ऐसे कार्यक्रता या जो स्वयं से इस कार्यक्रम में अपना योगदान देना चाह रहे हैं वो निर्धारित समय पर पहुंच कर पाठशाला की पठन पाठन की जिम्मेदारी देख रहे हैं।
इसी कड़ी में महाराष्ट्र के विदर्भ प्रान्त के वर्धा जिले में स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की परिषद इकाई ने भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के पास के एक बस्ती में परिषद की पाठशाला के संचालन का शुभारंभ किया ।जिसको नियमित संचालित किया जा रहा है ,इस पूरे कार्यक्रम की देखरेख की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के ही पीएचडी के छात्र रवीन्द्र कुमार “रवि” कौ सौंपी गई है। जिसमें विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, शोधार्थियों बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं और अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।
परिषद के इस पाठशाला का उद्देश्य सिर्फ शिक्षा देना ही नहीं बल्कि बच्चों का सर्वांगीण विकास कैसे हो इस उद्देश्य पर काम करना है , जिसके लिए वर्धा इकाई लगातार कार्य कर रही,कि वो बच्चों के लिए क्या क्या नया कर सकते हैं जिसके उनके अदंर मानसिक विकास के साथ साथ शारीरिक विकास भी हो , जिसमें वो बच्चों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम , जन्मदिन मनाना,खेल कूद प्रतियोगिता का आयोजन जैसे विभिन्न कार्यक्रमों को प्राथमिकता दें रहें हैं जिससे बच्चे पढ़ाई के साथ साथ जीवन के विभिन्न आयामों को सीख सकें।