प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पांचवें आयुर्वेद दिवस के मौके पर आयुर्वेद संस्थानों- गुजरात के जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान ( आईटीआरए ) और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ( एनआईए ) को राष्ट्र को समर्पित किया ।
इस मौके पर उन्होंने भगवान धन्वंतरि से भारत सहित पूरी दुनिया को आरोग्य का आशीर्वाद देने की प्रार्थना की । अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद , भारत की विरासत है जिसके विस्तार में पूरी मानवता की भलाई समाई हुई है ।
उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी का भारत अब टुकड़ों 31 बल्कि होलिस्टिक तरीके से सोचता है । प्रधानमंत्री कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि जब इसका कोई प्रभावी तरीका नहीं था तो भारत के घर – घर में हल्दी , काढ़ा , दूध जैसे अनेक इम्यूनिटी बूस्टर जैसे उपाय बहुत काम आए । इसके अलावा उन्होने बताया कि कोरोना काल में पूरी दुनिया में आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है ।
पीएम मोदी ने कहा , ” आज एक तरफ भारत जहां वैक्सीन की टेस्टिंग कर रहा है . वहीं दूसरी तरफ कोविड से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक रिसर्च पर भी Internatics Collaboration को तेजी से बढ़ा रहा है . इस समय 100 से ज्यादा स्थानों पर रिसर्च चल रही है .
” उन्होंने कहा कि इसी साल संसद के मानसून सत्र में दो ऐतिहासिक आयोग भी बनाए गए हैं . भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग . नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत की मेडिकल एजुकेशन में इंटीग्रेशन की एप्रोच को प्रोत्साहित किया गया है .
उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी का भारत अब टुकड़ों में नहीं , Holistic तरीके से सोचता है . हेल्थ से जुड़ी चुनौतियों को भी अब holistic अप्रोच के साथ उसी तरीके से ही सुलझाया जा रहा है . आज देश में सस्ते और प्रभावी इलाज के साथ साथ Preventive हेल्थकेयर वेलनेश पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है .
