दार्जिलिंग का वर्ल्ड फेमस टॉय ट्रेन एक बार फिर पटरियों पर दौड़ रही है। करीब डेढ़ साल बाद कोरोना जब फिर से काबू में आया है तो इस टॉय ट्रेन को फिर से शुरू किया गया। यूनेस्को विश्व धरोहरों में शामिल यह ट्रेन न्यू जलपाई गुड़ी से दार्जिलिंग के बीच दौड़ती है। इस टॉय ट्रेन को दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के नाम से भी जाना जाता है।
1889 और 1881 के बीच टॉय ट्रेन की हुई थी शुरुआत
यह ट्रेन इतनी मशहूर है कि दूर-दूर से सैलानी इसकी सवारी करने के लिए यहां पहुंचते हैं। कहते हैं कि दार्जिलिंग आकर जिसने इस टॉय ट्रेन की सवारी नहीं की उसने कुछ भी नहीं किया। इस टॉय ट्रेन को 1889 और 1881 के बीच ब्रिटिश काल में बनाया गया था। बता दें न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच की दूरी 88 किलोमीटर है और इस टॉय ट्रेन का ट्रैक बेहद सर्पीला ट्रैक है।
लॉकडाउन के बाद से बंद थी यह टॉय ट्रेन सेवा
हिमालयन रेलवे को यूनेस्को द्वारा नीलगिरि पर्वतीय रेल और कालका-शिमला रेलवे के साथ भारत की पर्वतीय रेल के रूप में विश्व धरोहर के रूप में खास पहचान मिली है। बता दें, इस रेलवे का मुख्यालय कुर्सियांग शहर में स्थित है। बीते साल देश में लॉकडाउन लगने के बाद से ही टॉय ट्रेन को बंद कर दिया गया था, लेकिन अब इसके शुरू होते ही यह फिर से पर्यटकों के साथ गुलजार हो उठी है। कोरोना के चलते दार्जीलिंग के लोगों के रोजगार ठप पड़े थे, जिन्हें एकबार फिर इस टॉय ट्रेन के शुरू होने से काफी मदद मिली है। दरअसल, यहां के लोगों का अधिकतर रोजगार पर्यटन से ही जुड़ा हुआ है। अब इस स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है।
