ऊर्जा मंत्रालय के तहत भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन कंपनी राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम-एनटीपीसी लिमिटेड अपने ऊर्जा सघन लक्ष्यों को घोषित करने के लिए भारत में ऊर्जा क्षेत्र में पहली ऊर्जा कंपनी बन गई है। यह ऊर्जा पर संयुक्त राष्ट्र उच्च स्तरीय वार्ता (एचएलडीई) का एक हिस्सा भी है। देश में उर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एनटीपीसी हमेशा से अन्य कंपनियों से एक कदम आगे रहा है और अब वह धीरे-धीरे अनवीकरणीय स्रोतों से नवीकरणीय स्रोतों की ओर रुख कर रहा है।
एचएलडीई 2021, 1981 के बाद महासभा के तत्वावधान में ऊर्जा पर पहली वैश्विक सभा
2021 में ऊर्जा पर उच्च स्तरीय वार्ता, 1981 में नैरोबी में आयोजित ऊर्जा के नवीन और नवीकरणीय स्रोतों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के बाद से महासभा के तत्वावधान में ऊर्जा पर पहली वैश्विक सभा है। यह परिवर्तनकारी कार्रवाई प्रदान करने का एक ऐतिहासिक अवसर प्रस्तुत करती है। ऊर्जा पर उच्च स्तरीय वार्ता का व्यापक लक्ष्य सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के ऊर्जा संबंधी लक्ष्यों और लक्ष्यों के क्रियान्वयन को बढ़ावा देना है।
एनटीपीसी ने 2032 तक 60 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का रखा है लक्ष्य
बता दें एनटीपीसी ने 2032 तक 60 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। भारत के सबसे बड़े बिजली उत्पादक ने 2032 तक शुद्ध ऊर्जा तीव्रता में 10 प्रतिशत की कमी का भी लक्ष्य बनाया है।
यह वैश्विक स्तर पर अपने ऊर्जा सघन लक्ष्यों की घोषणा करने वाले कुछ संगठनों में से एक है। इसके अलावा, एनटीपीसी ने घोषणा की है कि वह 2025 तक स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान की सुविधा और ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कम से कम 2 अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन / समूहों का गठन करेगी।
‘मिनिस्ट्रियल थीमैटिक फोरम फॉर द एचडीएलई’ कार्यक्रम में लक्ष्यों का किया गया अनावरण
हाल ही में आयोजित ‘मिनिस्ट्रियल थीमैटिक फोरम फॉर द एचडीएलई’ कार्यक्रम में लक्ष्यों का अनावरण किया गया था। एनटीपीसी की प्रतिबद्धता को संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर भी सार्वजनिक किया गया है। सतत विकास के लिए 2030 कार्य योजना के ऊर्जा संबंधी उद्देश्यों और लक्ष्यों के क्रियान्वयन को बढ़ावा देने के लिए सितंबर, 2021 में संयुक्त राष्ट्र एक उच्च स्तरीय वार्ता आयोजित करने जा रहा है।
अपने हरित ऊर्जा पोर्टफोलियो को बढ़ाने के लिए एनटीपीसी उठा रही विभिन्न कदम
एनटीपीसी नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) स्रोतों की महत्वपूर्ण क्षमताओं को जोड़कर अपने हरित ऊर्जा पोर्टफोलियो को बढ़ाने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। कंपनी ने पहले आरई स्रोतों के माध्यम से न्यूनतम 32 गीगावॉट क्षमता रखने की योजना बनाई थी, जो 2032 तक इसकी कुल बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग 25 प्रतिशत है। यह भारत के सबसे बड़े ऊर्जा उत्पादक के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन साबित होगा जो देश के हरित ऊर्जा क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा।
अन्य कंपनियां भी इस दिशा में कर रही हैं काम
एनटीपीसी के अलावा कई अन्य कंपनियां भी इस दिशा में काम कर रही हैं। टाटा पावर सोलर सिस्टम्स लिमिटेड टाटा समूह का हिस्सा है और देश में सबसे बड़ा एकीकृत सौर ऊर्जा उत्पादक है। सुजलॉन भारत की अग्रणी अक्षय ऊर्जा कंपनियों में से एक है। इसने भारत में पवन ऊर्जा परियोजनाओं के शुरुआती दौर से अपनी सेवाएं दी हैं। यह पवन टरबाइन जनरेटर (डब्ल्यूटीजी) की डिजाइनिंग और निर्माण करता है। वहीं रीन्यू पावर वेंचर्स एक स्वतंत्र बिजली उत्पादक के रूप में काम करता है। यह कंपनी सौर और पवन ऊर्जा के माध्यम से गैर-पारंपरिक ऊर्जा के उत्पादन में संलग्न है। यह भारत में राज्य बिजली बोर्डों और बड़ी औद्योगिक कंपनियों को बिजली बेचता है।
भारत सरकार की 2030 तक 523 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की है योजना
भारत 2019 में पवन ऊर्जा में पांचवें, सौर ऊर्जा में पांचवें और अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता में चौथे स्थान पर था। इसके अलावा भारत ईवाई अक्षय ऊर्जा देश आकर्षक सूचकांक 2020 में भी सातवें स्थान पर था। ब्रिटिश बिजनेस एनर्जी के अनुसार, भारत अक्षय ऊर्जा योजना और निवेश में तीसरे स्थान पर है। भारत सरकार 2030 तक 523 गीगावॉट (हाइड्रो से 73 गीगावॉट सहित) की अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की योजना बना रही है। बिजली मंत्रालय ने राष्ट्रीय बिजली नीति 2021 का मसौदा जारी किया है और सभी हितधारकों के सुझावों को आमंत्रित किया है।
