आज पूरे देश भर में भाईदूज का पावन पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है, यह पर्व भाई-बहनों के बीच अटूट साझा किए गए बंधन का जश्न मनाता है। यह पर्व हर साल दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है प्रधानमंत्री से लेकर देश के तमाम बड़ी हस्तियों ने देशवासियों को भाई दूज के इस पावन अवसर पर शुभकामनाएं दी हैं।
आज भाई दूज के इस पावन अवसर पर बहन अपने भाई की लम्बी उम्र की की कामना करती है,और उनके माथे पर तिलक लगाती है,तिलक लगाने के बाद भाई की आरती उतारकर कलावा बांधना बाधती है , ऐसा हमारे धार्मिक ग्रंथों में इस पर्व को लेकर मान्यता है।इस पावन मौके पर जहां बहनें भाइयों को तिलक कर दीर्घायु और यशस्वी होने की कामना करेंगी तो दूसरी तरफ भाई उनकी रक्षा का वचन देंगे। इसको लेकर हमारे धर्म में मान्यता है कि बहनो को भाई का मुंह मीठा कराना चाहिए. इसके बाद भाई को भोजन कराया और उसे भोजन के बाद पान खिलाया जाता है ।
धार्मिक मान्यता
भाई दूज को मनाने के पीछे धार्मिक मान्यता है कि यमराज ने भी इसी तिथि को अपनी बहन यमुना से नोत लिया था। कहा जाता है कि यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया था।बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. बहन यमुना ने अपने भाई का बड़ा आदर-सत्कार किया. विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए और उन्हें भोजन कराया तथा तिलक लगाया. यमराज ने चलते वक्त बहन यमुना से मनवांछित वरदान मांगने को कहा.इसी को लेकर तबसे इस पावन पर्व की शुरुआत किया गया था। कहा जाता है कि यदि इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो वे यमराज के प्रकोप से बच पाएंगे।
