भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) अध्यक्ष सौरव गांगुली का मानना है कि चाइनीज मोबाइल कंपनी से आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप डील सस्पेंड होना मामूली झटका है। इससे बीसीसीआई की आर्थिक सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। गांगुली ने एक वेबिनार में यह बात कही।
बीसीसीआई ने बीते गुरुवार को वीवो से इस साल के लिए आईपीएल के लिए टाइटल स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने का फैसला किया था। भारत-चीन के बीच पैदा हुए सीमा विवाद के बाद से ही देश भर में चाइनीज कंपनियों के बहिष्कार की मांग हो रही थी। भारतीय बोर्ड पर भी वीवो से डील तोड़ने का दबाव था।
गांगुली ने कहा कि बीसीसीआई की बुनियाद बहुत मजबूत है। खिलाड़ियों और एडमिनिस्ट्रेटर्स ने बीते कुछ सालों में इस खेल को इतना मजबूत बनाया कि बीसीसीआई इस तरह के मामूली झटकों को आसानी से संभाल सकती है। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई के पास ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पहले से ही प्लान-बी होता है। आप पहले से ही स्थिति को भांपकर अपने सारे विकल्प खुले रखते हैं। समझदार लोग, ब्रांड और बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां ऐसा करती हैं।
बोर्ड अध्यक्ष ने आगे कहा कि ऐसा करने का एक ही तरीका है कि आप समय के साथ प्रोफेशनली मजबूत होते जाएं। बड़ी चीजें न रातों-रात होती हैं और न ही जाती हैं। भविष्य को देखकर की गई लंबी तैयारी ही आपको इस तरह के नुकसान और सफलता के लिए तैयार करती है।
वीवो ने 2018 में 2190 करोड़ रुपए में 5 साल के लिए आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप डील हासिल की थी। यह करार 2022 में खत्म होना था। इस डील के तहत वीवो बीसीसीआई को हर साल 440 करोड़ रुपए देता है। इसमें से आधा पैसा सभी आठों फ्रेंचाइजियों में बराबर बंटता है। हर एक फ्रेंचाइजी को हर साल 27.5 करोड़ रुपए मिलती है। ऐसे में डील रद्द होने से सभी फ्रेंचाइजियों को नुकसान होगा।
अब बीसीसीआई और वीवो नए प्लान पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत चाइनीज मोबाइल कंपनी 2021 में बोर्ड के साथ तीन साल की नई डील कर सकती है। हालांकि, भारत-चीन के बीच मौजूदा तनाव को देखते हुए यह डील भी आसान नहीं होगी। इस मामले पर बोर्ड के एक सीनियर ऑफिशियल ने न्यूज एजेंसी से कहा कि हम दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव की बात कर रहे हैं, आपको लगता है क्या कि नवंबर में जब आईपीएल खत्म होगा, तो देश में चीन विरोधी भावना नहीं होगी? क्या हम इसे लेकर गंभीर हैं।
आईपीएल के नए टाइटल स्पॉन्सर की रेस में बायजू, अमेजन, रिलायंस जियो और कोका कोला इंडिया हैं। हालांकि, कोरोना के कारण अभी कंपनियों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में नए करार से बोर्ड को 440 करोड़ रुपए मिलना मुश्किल है। बायजू टीम इंडिया की पहले से स्पॉन्सर है।
पिछले दिनों कंपनी ने निवेशकों से 3700 करोड़ रुपए जुटाए हैं। बायजू के अधिकारी ने कहा कि कंपनी ने डील के लिए 300 करोड़ रुपए रखे हैं। कोका कोला इंडिया ने भी कहा कि हम क्रिकेट में लगातार इन्वेस्ट करते रहना चाहते हैं। हम अभी हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
सोर्स – दैनिक भास्कर
