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RBI Monetary Policy: ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं, जीडीपी ग्रोथ रेट 9.5% पर बरकरार

भारतीय रिजर्व बैंक ने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए IMPS लेनदेन की सीमा को अब 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज 8 अक्टूबर को हुई मौद्रिक नीति की मीटिंग में यह बताया कि पैसे के तत्काल हस्तांतरण के लिए उपयोग किए जाने वाले डिजिटल भुगतान मोड की बढ़ी हुई सीमा से उपभोक्ताओं के लिए अधिक रकम ट्रांसफर करना सुविधाजनक हो जाएगा। इसके अलावा आरबीआई ने रेपो दर को 4% पर और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर अपरिवर्तित रखा है।

जानकारी के लिए बता दें कि प्रत्येक दो माह में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होती है, जिसमें अर्थव्यवस्था में सुधार पर चर्चा की जाती है और ब्याज दरों का फैसला लिया जाता है। पिछली बार रिजर्व बैंक ने 22 मई 2020 को नीतिगत दरों में संशोधन किया था, तब से लेकर आज तक सभी नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक की प्रमुख बातें

1) मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट 4.25 फीसदी पर स्थिर है, इसके अलावा रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है। साथ ही साथ बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है, यह भी 4.25 फीसदी पर बरकरार है।

2) भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश की वास्तविक जीडीपी में 9.5 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया है। इस दौरान वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.9 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी का अनुमान है।

3) वित्तीय वर्ष 2022 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.3% अनुमानित है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2% अनुमानित है।

4) सितंबर 2021 में लगातार 7वें महीने निर्यात 30 बिलियन यूएस डॉलर से ऊपर रहा, जो मजबूत वैश्विक मांग और नीतिगत समर्थन को दर्शाता है। यह वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 400 बिलियन डॉलर के हमारे निर्यात लक्ष्य को पूरा करने के लिए अच्छा संकेत है।

5) संभावित लिक्विडिटी ओवरहैंग राशि 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जोकि अर्थव्यवस्था COVID19 से उभरने के संकेत दिखाती है। एक दृष्टिकोण उभर रहा है कि संकट के दौरान स्थापित तरलता की स्थिति को क्रमिक, कैलिब्रेटेड और गैर-विघटनकारी तरीके से विकसित करने की आवश्यकता है।

6) वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीनों में (पूर्ण वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 3.1 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले) ओपन मार्केट ऑपरेशंस के माध्यम से आरबीआई द्वारा 2.37 लाख करोड़ रुपये की तरलता को वित्तीय प्रणाली में इंजेक्ट किया गया था।

7) आरबीआई गवर्नर ने कहा कि हम अकेले 14-दिवसीय परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो नीलामी प्रदान कर रहे हैं। अन्य उपाय तरलता की स्थिति विकसित होने पर निर्भर करेंगे। यह हितधारकों के परामर्श से आरबीआई के आकलन पर आधारित है। पूरी कवायद वैकल्पिक, स्वैच्छिक है, इस विषय में बैंकों पर कोई बाध्यता नहीं है।

महंगाई दर में आई कमी

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति, जुलाई 2021 में 5.59 प्रतिशत से घटकर अगस्त 2021 में 5.3 प्रतिशत हो गई। महामारी के कारण प्रतिबंधों में ढील देने और क्षमता में सुधार के साथ आपूर्ति की स्थिति में सुधार हुआ है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज की बैठक में अतिरिक्त उपायों की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि लघु वित्त बैंकों के लिए ऑन-टैप विशेष चलनिधि दीर्घकालिक रेपो परिचालन होगा।

इसके अलावा ऑफलाइन खुदरा डिजिटल भुगतान समाधान के लिए एक रूपरेखा पेश की जाएगी। यह कम इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले दूरदराज के क्षेत्रों में मदद करेगा एवं डिजिटल भुगतान की पहुंच का विस्तार करते हुए नए अवसर खोलेगा।

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