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PM मोदी ने देश को दिए 35 PSA ऑक्सीजन प्लांट, भारत की चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता का होगा विस्तार

“संकल्प से हो रही है सिद्धी, रहेगा भारत स्वस्थ तो आएगी समृद्धि,
आत्मनिर्भर भारत के लिए हो रहे हैं अनगिनत प्रयास, सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास।”

इन्हीं वचनों के साथ पीएम मोदी ने आज ”7 अक्टूबर 2021” को पीएम केयर्स के तहत स्थापित 35 पीएसए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किए। गौरतलब हो, उत्तराखंड में एम्स ऋषिकेश में आयोजित कार्यक्रम में 35 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 35 पीएसए संयंत्र शुरू होने के साथ ही अब देश के सभी जिलों में पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों की सुविधा उपलब्ध हो गई हैं। कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से भारत की चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए सकारात्मक उपायों का प्रमाण है।

पीएम केयर्स के तहत 35 PSA ऑक्सीजन प्लांट राष्ट्र को समर्पित

जी हां, कोविड की दूसरी लहर के दौरान देश को ऑक्सीजन की बड़ी मात्रा में जरूरत पड़ी थी। इस तरह की तमाम चुनौतियों का सामना करने के लिए केंद्र सरकार ने हर जिले में प्लांट स्थापित कर दिए हैं। पीएम मोदी ने उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित एम्स में आयोजित एक कार्यक्रम में 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पीएम केयर्स के तहत स्थापित 35 Pressure Swing Adsorption यानि PSA ऑक्सीजन प्लांट राष्ट्र को समर्पित किए। केंद्र सरकार के इस कदम से अब देश के सभी जिलों में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट चालू हो गए हैं।

इसके अलावा पीएम मोदी ने इस मौके पर एक जनसभा को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा “कोरोना से लड़ाई के लिए इतने कम समय में भारत ने जो सुविधाएं तैयार कीं, वो हमारे देश के सामर्थ्य को दिखाता है। सिर्फ 1 टेस्टिंग लैब से करीब 3 हजार टेस्टिंग लैब्स का नेटवर्क, मास्क और किट्स के आयातक से निर्यातक बनने का सफर।

आगे जोड़ते हुए पीएम ने कहा, देश के दूर-दराज वाले इलाकों में भी नए वेंटिलेटर्स की सुविधाएं, मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन का तेजी से और बड़ी मात्रा में निर्माण, दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज टीकाकरण अभियान भारत ने जो कर दिखाया है, वो हमारी संकल्प शक्ति, हमारे सेवाभाव, हमारी एकजुटता का प्रतीक है।

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सामान्य दिनों में भारत में एक दिन में 900 मीट्रिक टन, लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का प्रोडक्शन होता था। डिमांड बढ़ते ही भारत ने मेडिकल ऑक्सीजन का प्रोडक्शन 10 गुना से भी ज्यादा बढ़ाया। ये दुनिया के किसी भी देश के लिए अकल्पनीय लक्ष्य था, लेकिन भारत ने इसे हासिल करके दिखाया।

उन्होंने यह भी कहा कि ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है कि कोरोना वैक्सीन की 93 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। बहुत जल्द हम 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएंगे। भारत ने Cowin प्लेटफॉर्म का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया कैसे जाता है।

देश में कुल कितने ऑक्सीजन संयंत्र

गौरतलब हो प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार अब तक, पूरे देश में कुल 1,224 PSA ऑक्सीजन संयंत्रों को पीएम केयर्स के तहत वित्त पोषित किया गया है, जिनमें से 1,100 से अधिक संयंत्रों को चालू किया गया है, जिससे प्रतिदिन 1,750 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।

मेडिकल क्षेत्र पर पड़ेगा क्या प्रभाव

केंद्र सरकार के इस कदम से भारत की चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता का विस्तार होगा। फिलहाल, 1,100 से अधिक संयंत्रों के जरिए प्रतिदिन 1,750 मीट्रिक टन से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। बताना चाहेंगे कि सरकार ने देश के प्रत्येक जिले में एक पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र चालू करने की परियोजना को पहाड़ी क्षेत्रों, द्वीपों और कठिन भू-भाग वाले क्षेत्रों की जटिल चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य से क्रियान्वित किया था।

संयंत्रों का रखरखाव भी सुनिश्चित

वहीं सरकार ने 7,000 से अधिक कार्मिकों को प्रशिक्षण देकर इन संयंत्रों का संचालन और रखरखाव भी सुनिश्चित किया है। वे एक सशक्त वेब पोर्टल के माध्यम से अपने कामकाज एवं निष्पादन की तत्काल निगरानी के लिए एक एम्बेडेड इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) डिवाइस के साथ होते हैं। इस तरह अब तक 1 लाख ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 1 लाख 27 हजार ऑक्सीजन सिलेंडर, 1224 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट, 4 लाख से अधिक बेड्स को ऑक्सीजन की निर्बाध सप्लाई से जोड़ा गया है।

लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन में भी वृद्धि.

साल 2019 में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) का रोजाना उत्पादन औसतन 900 मीट्रिक टन था, वहीं साल 2021 में यह बढ़कर 9,300 मीट्रिक टन हो गया है। इस तरह पीएम मोदी की अगुवाई में देश ने न केवल इस अभूतपूर्व आपदा का सामना किया है, बल्कि उनके आह्वान पर मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के मामले में भी आत्मनिर्भर हुआ है। वाकयी यह एक ऐसी असाधारण उपलब्धि है, जिसे भारत सरकार, राज्य सरकार और जनता के सामूहिक प्रयासों से हासिल किया गया है।

नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने की प्रगति

ज्ञात हो 2 मई 2021 को PM मोदी ने नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने की प्रगति की समीक्षा की थी। इसके अंतर्गत कोविड-19 महामारी की स्थिति के बीच चिकित्सा ऑक्सीजन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों के रूपांतरण की व्यवहार्यता का पता लगाया। ऐसे विभिन्न संभावित उद्योगों की पहचान की गई, जिनमें मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए रूपांतरित किया जा सकता था। इसके बाद केंद्र सरकार ने ऐसे संयंत्रों को ऑक्सीजन उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया। उद्योगों के साथ विचार-विमर्श कर अब तक 14 उद्योगों की पहचान की गई, जहां संयंत्रों का रूपांतरण प्रगति पर है। इसके अलावा उद्योग संघों की मदद से 37 नाइट्रोजन संयंत्रों की भी पहचान की गई है।

ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए मौजूदा Pressure Swing Adsorption (PSA) नाइट्रोजन संयंत्रों को परिवर्तित करने की प्रक्रिया पर चर्चा की गई। नाइट्रोजन पौधों में कार्बन आण्विक चलनी (Carbon Molecular Sieve-CMS) का उपयोग किया जाता है, जबकि ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए जिओलाइट आणविक चलनी (Zeolite Molecular Sieve-ZMS) की आवश्यकता होती है। इसलिए, सीएमएस को जेडएमएस के साथ बदलकर और ऑक्सीजन विश्लेषक, नियंत्रण कक्ष प्रणाली, प्रवाह वाल्व आदि जैसे कुछ अन्य परिवर्तन करके मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए संशोधित किया जा सकता है।

DRDO को दी गई थी बड़ी जिम्मेदारी

28 APR 2021 को पीएम केयर्स फंड के तहत डीआरडीओ को तीन महीने में देश में 500 मेडिकल ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जाने को कहा गया था। डीआरडीओ द्वारा तैयार ऑक्सीजन संयंत्र 1,000 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) की क्षमता के लिए बनाया गया है। यह प्रणाली पांच एलपीएम की प्रवाह दर पर 190 रोगियों की जरूरत को पूरा कर सकती है और प्रति दिन 195 सिलेंडर चार्ज कर सकती है। मैसर्स टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, बेंगलुरु और मैसर्स ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, कोयंबटूर को इस प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण किया गया, दोनो को देश के विभिन्न अस्पतालों में स्थापना के लिए 380 संयंत्रों का उत्पादन करने का जिम्मा सौंपा गया। वहीं सीएसआईआर से संबंधित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून के साथ काम करने वाले उद्योग को 500 एलपीएम क्षमता के 120 संयंत्रों के उत्पादन का कार्य सौंपा गया।

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