पीएम मोदी 26-27 जून को जर्मन प्रेसीडेंसी के तहत G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने श्लॉस एल्मौ का दौरा करेंगे। इसके बाद वे 28 जून को एक दिवसीय यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात जाएंगे।
पीएम मोदी द्वारा दो सत्रों को संबोधित करने की उम्मीद
विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी के दो सत्रों में संबोधित करने की उम्मीद है। इन सत्रों में पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और लोकतंत्र को लेकर चर्चा होगी।
कई देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे
इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के प्रयास में अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका जैसे अन्य लोकतांत्रिक देशों को भी आमंत्रित किया गया है। शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री कुछ भाग लेने वाले देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।
28 जून को यूएई की यात्रा करेंगे पीएम मोदी
जी7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री 28 जून को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की यात्रा करेंगे और पूर्व राष्ट्रपति और अबू धाबी शासक शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर व्यक्तिगत संवेदना व्यक्त करेंगे।
प्रधानमंत्री हिज हाइनेस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को यूएई के नए राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक के रूप में चुने जाने पर बधाई भी देंगे। इसके पश्चात पीएम मोदी उसी रात 28 जून को यूएई से स्वदेश के लिए रवाना होंगे।
G7 में कौन-कौन से देश शामिल ?
G7 में फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल है। सभी G7 देश और भारत G20 का हिस्सा हैं। गौरतलब हो G7 शिखर सम्मेलन का निमंत्रण भारत और जर्मनी के बीच मजबूत और घनिष्ठ साझेदारी और उच्च-स्तरीय राजनीतिक संपर्कों की परंपरा को ध्यान में रखते हुए है। इससे पहले पीएम मोदी की जर्मनी की अंतिम यात्रा भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के छठे संस्करण के दौरान 2 मई 2022 को हुई थी।
G7 की जरूरत क्यों पड़ी ?
70 के दशक में कई देशों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। पहला- तेल संकट और दूसरा- फिक्स्ड करेंसी एक्सचेंज रेट्स के सिस्टम यानि ब्रेटन वुड्स का ब्रेक डाउन। 1975 में जी6 की पहली बैठक आयोजित की गई, जहां इन आर्थिक समस्याओं के संभावित समाधानों पर विचार किया गया। सदस्य देशों जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति पर समझौता किया और वैश्विक आर्थिक मंदी से निपटने के लिए समाधान निकाले।
गौरतलब हो, पहले “विश्व आर्थिक शिखर सम्मेलन” के बाद ‘G7’ अपने अस्तित्व में आया। 1975 में पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति वालेरी गिस्कार्ड डी ‘स्टाइंग और तत्कालीन संघीय चांसलर हेल्मुट श्मिट द्वारा इसे शुरू किया गया था। उस दौरान जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका यानि G6 के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों के बीच फ्रांस में शैटॉ डी रैंबौइलेट में एक मुलाकात हुई थी।
इस मंच ने इन देशों को तेल संकट और निश्चित विनिमय दर प्रणाली यानि ब्रेटन वुड्स के पतन पर संभावित समाधानों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर दिया। प्रतिभागियों ने इसमें अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीति का समन्वय किया और वैश्विक मंदी को दूर करने के लिए प्रारंभिक उपायों पर अपनी सहमति व्यक्त की। इस प्रकार यह समुह अस्तित्व में आया।
