कबीर दास जयंती गुरुवार को मनाई जाएगी और यह भारत के प्रसिद्ध कवि, संत और समाज सुधारक संत कबीरदास की जयंती है।
कबीर दास के लेखन का भक्ति आंदोलन पर बहुत प्रभाव पड़ा और इसमें कबीर ग्रंथावली, अनुराग सागर, बीजक और सखी ग्रंथ जैसे शीर्षक शामिल हैं। उनके काम का प्रमुख हिस्सा पांचवें सिख गुरु – गुरु अर्जन देव द्वारा एकत्र किया गया था।
कबीर की विरासत अभी भी कबीर के पंथ के नाम से जाने जाने वाले पंथ के माध्यम से चल रही है, एक धार्मिक समुदाय जो उन्हें संस्थापक मानता है।
वह व्यापक रूप से सम्मानित कवि हैं जिनकी रचनाओं का भक्ति आंदोलन पर जबरदस्त प्रभाव था।
कबीर की कृतियाँ हिन्दी भाषा में लिखी गईं, जिन्हें समझना आसान था। वह लोगों को जागरूक करने के लिए दोहों में लिखते थे।
कबीर दास जयंती का महत्व
कबीरदास जयंती हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। उनकी जयंती पर संत कबीरदास के अनुयायी उनकी कविताओं और उपदेशों का पाठ कर उन्हें याद करते हैं। संत कबीरदास अपने दो-पंक्ति वाले दोहे के लिए जाने जाते थे, जिन्हें ‘कबीर के दोहे’ के नाम से जाना जाता है।
कबीरदास जयंती 2021 की तिथि
कबीरदास जयंती तिथि – 24 जून
पूर्णिमा तिथि शुरू – 24 जून को सुबह 3.32 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्ति समय – 25 जून को प्रातः 12.09 बजे09
