कोविड-19 महामारी की मौजूदा लहर के खिलाफ प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके), भारतीय फार्मा पीएसयू ब्यूरो (बीपीपीआई), वितरक एवं अन्य हितधारकों ने एकजुट होकर इस जंग में व्यापक योगदान देने की घोषणा की है। 13 मई 2021 तक देश भर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 7,733 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके) कार्यरत हैं, जो देश के सभी जिलों को कवर कर रहे हैं। देश भर में चल रहे इन केंद्रों पर आवश्यक दवाएं, फेस मास्क और सैनिटाइजर आसानी से उपलब्ध होते हैं। इसके तहत सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले एन-95 फेसमास्क को केवल 25 रुपये प्रति यूनिट की दर से उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों में बिक्री के लिए 1,449 से अधिक दवाएं और 204 सर्जिकल एवं उपभोग्य वस्तुएं उपलब्ध हैं।
देश के नागरिकों के 500 करोड़ रुपये की हुई बचत
चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 13 मई 2021 तक बीपीपीआई ने 80.18 करोड़ रुपये की बिक्री की है, जिसके चलते देश के नागरिकों के लगभग 500 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इसके साथ ही रसद (लॉजिस्टिक्स) प्रणाली को मजबूत किया जा रहा है।
दवाओं के भंडारण के लिए तीन आधुनिक गोदाम कार्यरत
वर्तमान में दवाओं के भंडारण एवं वितरण के लिए गुरुग्राम, गुवाहाटी और चेन्नई में तीन आधुनिक गोदाम कार्यरत हैं और चौथा गोदाम सूरत में निर्माणाधीन है। इसके अलावा दूरदराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में दवाओं की आपूर्ति में आवश्यक सहयोग देने के लिए देश भर में 37 वितरकों को नियुक्त किया गया है। वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी के दौरान प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) ने राष्ट्र के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान कीं। इसके स्टोर लॉकडाउन के दौरान खुले रहे और आवश्यक दवाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित कराने में अपनी प्रतिबद्धता के परिचालन को निरंतर बनाए रखा।
ब्रांडेड दवाओं के औसत मूल्य के अधिकतम 50% के सिद्धांत पर होता है दवाओं के मूल्यों का निर्धारण
पीएमबीजेपी के तहत किसी भी दवा की कीमत का निर्धारण शीर्ष तीन ब्रांडेड दवाओं के औसत मूल्य के अधिकतम 50% के सिद्धांत पर होता है। जन औषधि दवाओं की कीमतें कम से कम 50% और कुछ मामलों में तो ब्रांडेड दवाओं के बाजार मूल्यों के मुकाबले 80% से 90% तक सस्ती हैं। वित्त वर्ष 2020-21 में बीपीपीआई ने लॉकडाउन जैसा कठिन समय होने के बावजूद 665.83 करोड़ रुपये का सराहनीय विक्रय कारोबार किया। इससे देश के आम नागरिकों को लगभग 4000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
भारी मांग वाली दवाओं के पर्याप्त स्टॉक को निरंतर बनाये रखा
बीपीपीआई ने फेस मास्क, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, पैरासिटामोल और एजिथ्रोमाइसिन जैसी भारी मांग वाली दवाओं का पर्याप्त स्टॉक निरंतर बनाए रखा। बीपीपीआई ने देश भर में कार्यरत 7500 से भी अधिक जन औषधि केंद्रों के माध्यम से वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 25 लाख फेस मास्क, 1.25 लाख सैनिटाइजर बोतलें, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की 137 लाख टैबलेट और पैरासिटामोल की 323 लाख टैबलेट की बिक्री सस्ते दामों पर की।
बीपीपीआई ने मित्र देशों के बीच वितरण के लिए विदेश मंत्रालय (एमईए) को भी 30 करोड़ रुपये मूल्य की दवाओं की आपूर्ति की है। पीएमबीजेपी की टोकरी में कई दवाएं और ओटीसी आइटम उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग कोविड-19 के उपचार के दौरान किया जा रहा है।
जेनरिक दवाओं को भी कराया था उपलब्ध
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत सभी लोगों (महिलाओं और बच्चों सहित) की प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने में मदद करने वाले कई पौष्टिक-औषधीय (न्यूट्रास्युटिकल) उत्पादों को शामिल किया गया। जानकारी के लिए बता दें कि इन सभी उत्पादों की पीएमबीजेपी कीमतें, बाजार में उपलब्ध उत्पादों की तुलना में 50% से लेकर 90% तक कम हैं। पिछले साल लॉकडाउन की पूरी अवधि के दौरान प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (पीएमबीजेके) ने देश के आम नागरिकों को उनके घरों पर सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध करवाकर अपनी आवश्यक सेवाएं प्रदान की थीं। ‘स्वास्थ्य के सिपाही’ के नाम से लोकप्रिय इन केंद्रों में कार्यरत फार्मासिस्टों ने मरीजों और बुजुर्गों के घरों पर जाकर उन्हें दवाएं उपलब्ध कराईं।
