खेल मंत्री किरेन रिजिजू उत्तराखंड के दौरे पर हैं, जहां आज उन्होंने नेलोंग और नागा घाटी में स्थित बॉर्डर आउट पोस्ट पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों से मुलाकात की। भारत-चीन सीमा की रखवाली के लिए आईटीबीपी की ये बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) 12,500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित हैं। केंद्रीय मंत्री शुक्रवार को टिहरी में नए आईटीबीपी के वाटर स्पोर्ट्स और साहसिक संस्थान का उद्घाटन करेंगे।
खेल मंत्री ने हिमवीरों से की मुलाकात
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडेय के अनुसार, मंत्री किरेन रिजिजू ने निलोंग और नागा बीओपी में हिमवीरों से मुलाकात की। आईटीबीपी के जवानों को बर्फानी परिस्थितियों में तैनात रहने के लिए जाना जाता है इसलिए इन्हें हिमवीर कहते है। जवानों के साथ बातचीत के दौरान, रिजिजू ने कठिन इलाकों और विपरीत मौसमी परिस्थितियों में राष्ट्र को समर्पित सेवाओं के लिए आईटीबीपी कर्मियों की सराहना की। जवानों का मनोबल बढ़ाते हुए रिजिजू ने कहा कि आईटीबीपी के जवान अपने हाई जोश, पेशेवराना अंदाज तथा उच्च स्तरीय शारीरिक फिटनेस के लिए जाने जाते हैं, जो अद्वितीय है। इस दौरे में आईटीबीपी के डी.जी एसएस देसवाल और एडीजी एमएस रावत मंत्री के साथ हैं ।
वाटर स्पोर्ट्स और साहसिक संस्थान करेंगे उद्घाटन
16 अप्रैल को मंत्री रिजिजू आईटीबीपी के टिहरी स्थित वाटर स्पोर्ट्स और साहसिक संस्थान (डब्ल्यूएसएआई) के उद्घाटन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित होंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे। यह संस्थान उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) के सहयोग से आईटीबीपी की एक विशेष व्यवस्था है। वहां यह बल अगले 20 वर्षों के लिए संस्थान का संचालन करेगा और सीएपीएफ और अन्य सहयोगी बलों के कर्मियों व देश के युवाओं के लिए प्रशिक्षण चलाएगा।
इन खेलों का होगा प्रशिक्षण
यह देश में अपनी तरह का पहला और विशेष संस्थान है ,जहां एयरो, वाटर एंड लैंड से संबंधित खेलों और साहसिक खेलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यहां पर कयाकिंग, रोइंग, कैनोइंग, वाटर स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग, पैरासेलिंग, स्कूबा डाइविंग, पैडल बोटिंग, स्पीड बोटिंग, काइट सर्फिंग, जेट स्कीइंग आदि का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। संस्थान में वाटर रेस्क्यू और जीवन रक्षा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी संचालित किए जाएंगे। 1962 में गठित आईटीबीपी को मुख्य रूप से भारत-चीन सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात किया गया है, जिसकी ज्यादातर बीओपी हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित हैं।
