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हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ रही हैं पंचायतें, ग्रामीण अर्थव्यवस्था होगी मजबूत

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी पहल, डिजिटल इंडिया (Digital India) ने इतने वर्षों में एक क्रांति का रूप ले लिया और आज यह कदम जन-आंदोलन में बदल गया है। भारतनेट परियोजना इसी का एक अंग है। यह परियोजना गांवों को डिजिटल कर, दुनिया से कदम मिलाकर चलने में सहयोग कर रही है। भारतनेट पंचायतों के स्तर पर अपना काम शुरू करता है। ‘डिजिटल इंडिया’ रूपी इस जन-आंदोलन ने अधिकांश लोगों के जीवन में किसी न किसी तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

भारत नेट परियोजना का उद्देश्य

भारत नेट परियोजना का उद्देश्य ऑप्टिकल फाइबर (Optical Fiber) के माध्यम से भारतीय गांवों को उच्च गति ब्रॉडबैंड कनेक्शन से जोड़ना है। इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में ई-गवर्नेंस (e-governance), ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा, ई-बैंकिंग, इंटरनेट और अन्य सेवाओं के वितरण को सुगम बनाना है। भारतनेट परियोजना विश्व की सबसे बड़ी ग्रामीण ब्रॉडबैंड संपर्क परियोजना है। इस परियोजना को ‘मेक इन इंडिया’ के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है अतः देश में ही रोजगार के नए अवसर विकसित हो रही हैं। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में संचरण सुविधा बिना किसी नेटवर्क बाधा के उपलब्ध कराई जा रही है। परियोजना में राज्य और निजी क्षेत्रों के साथ साझेदारी करके अब ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में नागरिकों/लोगों को सस्ती ब्रॉडबैंड सेवाएं प्राप्त हो पा रही हैं।

लाल किले से प्रधानमंत्री ने की थी घोषणा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले से इस योजना की शुरुवात की थी, जिसके अनुसार अगले 1,000 हजार दिनों तक सभी 6 लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉड्बैन्ड कनेक्शन जोड़ना था। इसके बाद इस साल 30 जून 2021 को केंद्र सरकार ने 3.60 लाख पंचायतों को हाई स्पीड इंटरनेट ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जोड़ने की मंजूरी दे दी है।

19 हजार करोड़ का बजट किया आवंटित

1 जुलाई को केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया अभियान के तहत भारतनेट परियोजना को 16 राज्यों में पीपीपी मॉडल से लागू करने की मंजूरी दे दी है। 16 राज्यों में पीपीपी मॉडल के तहत भारतनेट के कार्यान्वयन के लिए व्यवहार्यता अंतर सहायता कोष के रूप में 19,041 करोड़ रुपये स्वीकृत किये है। मंजूरी के दायरे में आने वाले राज्य केरल, कर्नाटक, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश हैं। एक टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर को 4 से अधिक पैकेज नहीं दिया जाएगा। इससे किसी की मोनोपॉली नहीं होगी।

पीपीपी मॉडल के तहत होगा काम

30 साल के लिये पीपीपी मॉडल पर परियोजना को लागू करने और रख रखाव का कॉन्ट्रैक्ट होगा। यदि सरकार 30 साल के लिये ये योजना लागू करती तो लगभग 1 लाख करोड़ रुपया खर्च करना पड़ता, लेकिन पीपीपी मॉडल की वजह से मात्र 19 हजार करोड़ में 16 राज्यों की 3.61 लाख ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाया जाएगा। इसके लिए ग्लोबल टेंडर भी होगा।

रोजगार सृजन के अवसर हुए पैदा

भारतनेट परियोजना के चलते ग्रामीण भारत के लोगों कई तरह के रोजगार मिले। ई-गवर्नन्स सेवाओं से संबंधित कामकाज के लिए कई लोगों ने सेवा प्रदाता बनकर रोजगार हासिल किए हैं। इसके अलावा केबल को बिछाने और अन्य काम को लेकर भी कई स्थानीय लोगों को काम मिला है। लोगों को काम मिलने से उनकी आय भी नियमित हुई है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को काफी बल मिला है।

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