बिजली, पानी और सड़क, ये तीन मूलभूत सुविधाएं ही किसी भी गांव का मूल विकास का आधार होती हैं। यानि कि जब तक देश का कोई भी गांव इन सुविधाओं से वंचित रहेगा, वह तब तक विकास से पिछड़ा रहेगा। हाल ही में झारखंड के मुसाबनी प्रखंड मुख्यालय से करीब 15 कि.मी. दूर घने जंगल और पहाड़ की तलहटी में बसा सूर्याबेड़ा गांव अब जाकर इन मूलभूत सुविधाओं को प्राप्त कर पाया है। सही मायनों में सूर्याबेड़ा गांव विकास की मुख्यधारा में अब शामिल हुआ है।
उपायुक्त ने जनता दरबार लगाकर जाना गांव का हाल
सूर्याबेड़ा गांव में 52 परिवार आजादी के सात दशक बाद भी विकास योजनाओं से वंचित थे। ग्रामीणों को मुख्यधारा से जुड़ने में आने वाली समस्याओं को देखते हुए मुख्यमंत्री ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को आवश्यक निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद 16 दिसंबर, 2020 को उपायुक्त गांव में जनता दरबार लगाकर सूर्याबेड़ा की समस्याओं से रूबरू हुए। उस वक्त ससमय विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाने का आश्वासन ग्रामीणों को दिया गया था। इसका फलाफल अब सामने है। सूर्यबेड़ा गांव में विकास योजनाओं को धरातल पर उतारना किसी चुनौती से कम नहीं थी, लेकिन इस चुनौती को स्वीकार करते हुए जिला प्रशासन की पूरी टीम ने विकास कार्यों को धरातल पर उतारने में सफलता पाई।
ढिबरी-बाती ही थी पढ़ाई करने के लिए बच्चों के पास एकमात्र विकल्प
सूर्याबेड़ा गांव शाम होने के बाद अंधकार में समा जाता था। ढिबरी-बाती ही रात में पढ़ाई करने के लिए बच्चों के पास एकमात्र विकल्प था। उस गांव में बिजली पहुंचने से बच्चे बल्ब की रोशनी में पढ़ाई कर पा रहे हैं। ग्रामीण कहते हैं कि बिजली पहुंचने से पहले संध्या होने के बाद न तो कोई ग्रामीण गांव से निकलना चाहता था और न ही कोई प्रखंड मुख्यालय से गांव की ओर आता था। गांव में बिजली पहुंचने से पहले शाम ढलते ही सभी लोग अपने-अपने घरों में कैद होने को विवश थे, लेकिन अब स्ट्रीट लाइट लग जाने से बच्चे-बुजुर्ग सभी रात में भी घर के बाहर बैठकर एक दूसरे के साथ समय व्यतीत कर पाते हैं।
अन्य योजनाओं का भी ग्रामीणों को दिया जा रहा लाभ
ग्रामीणों को प्रतिदिन 30 मानव दिवस का सृजन करते हुए मनरेगा योजना में रोजगार उपलब्ध कराया गया है। गांव में सिंचाई कूप, चापाकल, विधायक निधि से 1,500 फीट पीसीसी पथ का निमाण पूर्ण हो गया है। साथ ही 500 फीट का पीसीसी पथ भी 15वें वित्त आयोग से स्वीकृत है। मनरेगा के तहत पशु शेड निर्माण का भी लाभ ग्रामीणों को दिया गया है।
सड़क भी की गई सुदृढ़
सूर्याबेड़ा गांव तक जाने वाली सड़क का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। पेजयल की समस्या को देखते हुए डीप बोरिंग, चापाकल एवं सिंचाई कूप का निर्माण मनरेगा योजना के अन्तर्गत कराया गया है। दीदी बाड़ी योजना के अन्तर्गत उक्त गांव में सब्जी की खेती भी कराई जा रही है। रोजगार के लिए सभी ग्रामीणों का मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनाया गया है, ताकि सभी को अपने पंचायत एवं गांव में ही रोजगार मिल सके।
बच्चों को शिक्षा से जोड़ा गया
सूर्याबेड़ा गांव के करीब 60 फीसदी बच्चों को कस्तूरबा विद्यालय में नामांकन कराते हुए उच्च शिक्षा से जोड़ा गया है। साथ ही वर्तमान में गांव में ही रहकर पढ़ाई करने वाले बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उनके द्वारा खेल प्रतियोगिता की शुरुआत की गई, जो समय-समय पर करायी जा रही है।
इस संबंध में पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त सूरज कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेश से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर विकास योजनाओं से आच्छादित करने के लिए जिला प्रशासन तत्पर है। हर क्षेत्र में विकास योजनाओं को क्रियान्वित किया जाएगा। सूर्याबेड़ा गांव का विकास सभी क्षेत्र के लिए रोल मॉडल होगा।
केंद्र की यह योजना गांव-गांव पहुंचा रही बिजली
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) पूरे ग्रामीण भारत को निरंतर बिजली की आपूर्ति प्रदान करने के लिए बनाई गई है। यह योजना नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई थी। यह भारत सरकार की प्रमुख पहलों में से एक है और विद्युत मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है। डीडीयूजीजेवाई से ग्रामीण परिवारों को काफी फायदा मिल रहा है, क्योंकि बिजली देश की वृद्धि और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस योजना के तहत अभी तक देश के कई गांवों में बिजली पहुंचाने का कार्य किया जा चुका है।
