किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को बिना ‘ स्किन टू स्किन ‘ कान्टैक्ट के छूने पर POCSO के तहत अपराध न मानने के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा है .
बच्चियों से छेड़छाड़ के एक मामले में सुनवाई के दौरान बंबई उच्च न्यायालय ने ‘ नो स्किन टच , नो सेक्सुअल असॉल्ट ‘ का फैसला सुनाया था । इसका मतलब था कि त्वचा से त्वचा का संपर्क हुए बिना नाबालिग पीड़िता के स्तन को स्पर्श करना यौन अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है । बंबई उच्च न्यायालय ने इस मामले को पॉक्सो एक्ट के तहत मानने से इनकार कर दिया था । यह फैसला आने के बाद पूरे देश में इस पर चर्चा होने लगी थी , लेकिन अब सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश पर स्टे लगा दिया है । इस मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के फैसले से बेहद खतरनाक मिसाल बन जाती ।
हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को बिना ‘ स्किन टू स्किन ‘ कॉन्टैक्ट के छूना POCSO के तहत यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा बल्कि IPC की धारा 354 के तहत छेड़छाड़ का अपराध माना जाएगा . बॉम्बे हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ यूथ बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और याचिका दाखिल की है . इस मामले पर अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि बाम्बे हाई कोर्ट का ये फैसला उचित नहीं है . उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की है .
