पाकिस्तान और सऊदी के बीच का फासला बढ़ता है जा रहा है।पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी के बयान के बाद पाकिस्तान से सऊदी ने 1 बिलियन डॉलर चुकाने को कहा था। पाकिस्तान ने यह राशि चुका दी लेकिन साथ ही अपनी मजबूरी भी बताई कि यह एक बड़ी राशि है। बावजूद इसके सऊदी ने उससे एक बिलियन डॉलर और चुकाने को कहा है। दूसरी तरफ मई से ही सऊदी ने पाकिस्तान को तेल उधार देना बंद कर दिया है।
सऊदी ने दिसंबर 2018 में पाकिस्तान के लिए 6.2 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें 3.2 अरब डॉलर का तेल शामिल था। लेकिन बाद में सऊदी ने आर्थिक सहायता को घटाकर 2 अरब डॉलर का कर दिया और 3.2 अरब डॉलर के उधार तेल के प्लान में भी कटौती कर दी
दरअसल पाकिस्तान सऊदी अरब पर जोर देता आ रहा है कि वह उसे कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक दुनिया से समर्थन हासिल करने की अनुमति दे। फरवरी में इसने कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की बैठक बुलाने को कहा था, लेकिन सऊदी अरब ने इस अपील को ठुकरा दिया। ओआईसी 57 मुस्लिम देशों का एक समूह है जिसमें सऊदी अरब का काफी बोलबाला है।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी खुलकर यह मांग करते रहे कि सऊदी अरब इस मुद्दे पर ओआईसी काउंसिल की बैठक बुलाए।
पाकिस्तान की इस मांग पर ध्यान नहीं दिए जाने के बाद कुरैशी ने सऊदी अरब की निंदा की। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यदि सऊदी अरब पाकिस्तान का साथ नहीं दे सकता है तो वह उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएगा जो कश्मीर मुद्दे साथ देंगे। लेकिन पाकिस्तान में ही इस बयान की आलोचना हुई।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने फरवरी 2019 में पाकिस्तानी दौरे के समय 20 अरब डॉलर का एमओयू साइन किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की निरंतर जिद से पूरे निवेश को खतरा हो सकता है। वे कहते हैं कि इस्लामाबाद को मौजूदा विवाद को ध्यान से संभालना चाहिए क्योंकि प्रिंस सलमान युवा हैं और आवेगी स्वभाव के हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने समय से चार महीने पहले ही सऊदी का 1 अरब डॉलर कर्ज चुका दिया है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान अमेरिका को भी 2 अरब डॉलर का कैश लोन चुना सकता है, यदि उसे यह पैसा चीन से मिल जाए । वही भारत से तनाव और अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान में मार्केट के नुकसान पर चीन ने अब मिडिल ईस्ट और खाड़ी पर नजर लगाए है इसीलिए चीन भी सावधान है और मध्य पूर्व की राजनीति में शामिल होने में सतर्कता बरत रहा है।
सोर्स – लाइव हिन्दुस्तान
