टीकाकरण कोविड के विरुद्ध प्रभावी हथियार है। महामारी के इस दौर में टीका ही जीवन रक्षक है। इसी कड़ी में भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चल रहा है। टीके के उत्पादन के लिए केंद्र सरकार निर्माताओं को हर संभव सहायता उपलब्ध करवा रही है। टीके का निर्माण करने वाली कंपनियों को वित्तीय अनुदान दिया जा रहा है। उचित तकनीक और सभी जरूरी संसाधन मुहैया कराया जा रहे हैं।
भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से दी जा रही सहायता
आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत कोविड के स्वदेशी टीकों के विकास और उत्पादन में तेजी लाने के लिए मिशन कोविड सुरक्षा की घोषणा की गई थी। इस मिशन को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। मिशन के अंतर्गत टीके निर्माताओं को वित्तीय अनुदान दिया गया। गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र, हेस्टर बायो साइंसेज और ओमनी बीआरएक्स के साथ मिलकर पर्याप्त संख्या में टीके के निर्माण की योजना को कार्यान्वित कर रहे हैं। सभी निर्माताओं के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते को अंतिम रूप दे दिया गया है।
सितंबर 2021 तक प्रतिमाह 10 करोड़ टीके का होगा उत्पादन
कोवैक्सिन के उत्पादन के लिए दिए गए अनुदान के बाद, यह अनुमानित हैं कि सितंबर 2021 तक प्रतिमाह 10 करोड़ से अधिक टीके की खुराक का उत्पादन किया जा सकेगा। केंद्र सरकार के द्वारा भारत बायोटेक की न्यू बैंगलोर स्थित इकाई को 65 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया है। इस संस्थान को टीके की उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए, नए सिरे से तैयार किया गया था। इसी तरह जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा देश के अलग-अलग वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को सहायता दी जा रही है।
आईआईएल और बीआईबीसीओएल जैसी टीका निर्माता कंपनियों को दी जा रही सहायता
टीके के उत्पादन में तेजी लाने के उद्देश्य से हैदराबाद स्थित इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (आईआईएल) और बुलन्दशहर स्थित भारत इम्यूनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल लिमिटेड (बीआईबीसीओएल) को केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता दी गई है। इसमें आईआईएल को 60 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया। बीआईबीसीओएल को 30 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। वहीं, महाराष्ट्र स्थित हाफकाइन बायो फार्मास्यूटिकल कारपोरेशन लिमिटेड को अधिकाधिक टीके के उत्पादन के लिए केंद्र सरकार द्वारा 65 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी जा रही है। अनुमानित है कि, इस इकाई से प्रति माह 20 मिलियन खुराकों का उत्पादन किया जा सकेगा।
