बात चाहे पठानकोट में आतंकियों को मार गिराने की हो या फिर कश्मीर के कुपवाड़ा में, हर जगह वायुसेना के गरुड़ कमांडोज ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। यही वजह है कि इन्हें देश की शान कहा जाता है। यहां इनकी बात इसलिए हो रही है क्योंकि वायु सेना के स्पेशल फोर्सेज के 69 गरुड़ कमांडोज तैयार किए गए हैं, जिन्होंने हाल ही में अपना प्रशिक्षण पूरा किया है। इन 69 गरुड़ कमांडोज की शनिवार को गरुड़ रेजिमेंटल प्रशिक्षण केंद्र में मरून बेरेट सेरेमोनियल परेड हुई, जिसमें कमांडोज ने हैरतअंगेज कौशल का प्रदर्शन किया। इस मौके पर ऑपरेशंस (ऑफेंसिव) एयर कमोडोर के. खजूरिया ने मुख्य अतिथि के रूप में पासिंग आउट परेड की समीक्षा की।
एलएसी अखोका मुइवा को सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर ट्रॉफी प्रदान की गई
मुख्य अतिथि ने मेधावी प्रशिक्षुओं को प्रतिष्ठित ट्रॉफी से सम्मानित किया और सफल गरुड़ प्रशिक्षुओं को मरून बेरेट, गरुड़ प्रोफिशिएंसी बैज और स्पेशल फोर्सेज टैब प्रदान किए। एलएसी अखोका मुइवा को सर्वश्रेष्ठ ऑल राउंडर ट्रॉफी प्रदान की गई। युवा गरुड़ कमांडोज को दिए अपने संबोधन में मुख्य अतिथि ने प्रशिक्षुओं के लिए उच्च स्तर की व्यावसायिकता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने प्रशिक्षण कर्मचारियों को उनकी कड़ी मेहनत के लिए बधाई दी और उन्हें अपना उच्च स्तर बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
गरुड़ कमांडोज ने विभिन्न कौशलों का किया प्रदर्शन
परेड के दौरान गरुड़ कमांडोज ने कॉम्बैट फायरिंग स्किल, होस्टेज रेस्क्यू फायरिंग ड्रिल, असॉल्ट एक्सप्लोसिव्स, ऑब्स्टेकल क्रासिंग ड्रिल, वॉल क्लाइंबिंग/स्लिदरिंग/रैपलिंग स्किल्स तथा मिलिट्री मार्शल आर्ट्स जैसे विभिन्न कौशलों का प्रदर्शन किया। मरून बेरेट सेरिमोनियल परेड गरुड़ कमांडोज के लिए गर्व और उपलब्धि का एक पल रहा जो युवा स्पेशल फोर्सेज ऑपेरेटर्स के रूप में उनके प्रशिक्षण की परिणति का द्योतक है।
कैसे तैयार होते हैं गरुड़ कमांडोज
गरुड़ कमांडोज को करीब दो साल की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। विशेष फोर्स के लिए ट्रेनिंग हेतु इनकी सीधी भर्ती की जाती है। साथ ही, एक बार गरुड़ फोर्स ज्वाइन करने के बाद कमांडो अपने शेष करियर के दौरान यूनिट के साथ ही रहते हैं। इससे यह पुष्ट होता है कि यूनिट के पास लंबे समय तक बेहतरीन जवान रहें। गरुड़ कमांडो में भर्ती होना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए सभी रंगरूटों को कठिन शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। इसका उद्देश्य भावी जवानों के हर परिस्थिति का मुकाबला करने के योग्य बनाना होता है।