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राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने देशवासियों को दी छठ पूजा की शुभकामनाएं

राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने देशवासियों को छठ पूजा की शुभकामनाएं दी हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, “छठ पूजा के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं। यह पर्व प्रकृति, विशेषकर सूर्य व जल पर हमारी निर्भरता को स्वीकारने का भी अवसर है। मेरी कामना है कि यह त्योहार हमारी सांस्कृतिक विरासत को सबल बनाने के साथ-साथ पर्यावरण-संरक्षण के हमारे प्रयासों को भी सुदृढ़ बनाए।”

वहीं उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सूर्य उपासना एवं लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए भगवान सूर्य और भगवती षष्ठी से सभी के जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति की कामना की।

भगवान सूर्य और भगवती षष्ठी सभी के जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति प्रदान करें: उप राष्ट्रपति

उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने ट्वीट कर कहा, “छठ के पावन अवसर पर श्रद्धालु देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। हमारे पर्वों में प्रकृति की छवि दिखती है। यह नदियों की पवित्रता का पर्व है, सूर्य की दिव्यता का पर्व है, अर्घ्य में समर्पित खाद्यान्न की सात्विकता का पर्व है। प्रकृति में हमारी आस्था का पर्व है।” उन्होंने आगे कहा, “भगवान सूर्य और भगवती षष्ठी हमारे जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति प्रदान करें।”

पीएम मोदी ने भी इस अवसर पर सूर्य उपासना एवं लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए सभी के उत्तम स्वास्थ्य और सुख-सौभाग्य की कामना की। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, “सूर्योपासना के महापर्व छठ की आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं। छठी मइया हर किसी को उत्तम स्वास्थ्य और सुख-सौभाग्य प्रदान करें।”

मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के पुराने भाषण को किया साझा

इसके साथ ही पीएम मोदी ने छठ को लेकर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के पुराने भाषण को साझा किया। इसमें उन्होंने कहा, “दीपावली के 6 दिन बाद मनाए जाने वाला महापर्व छठ हमारे देश में सबसे अधिक नियम निष्ठा के साथ मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। इसमें खानपान से लेकर वेशभूषा तक पर हर बात में पारंपरिक नियमों का पालन किया जाता है।

प्रकृति और प्रकृति की उपासना से पूरी तरह जुड़ा है छठ महापर्व

छठ पूजा का अनुपम पर्व प्रकृति और प्रकृति की उपासना से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। सूर्य और जल महापर्व छठ के उपासना के केंद्र में है। बांस और मिट्टी से बने बर्तन और कंदमूल इनके पूजन विधि से जुड़े अभिन्न सामग्रियां है। आस्था के इस महापर्व में उगते सूर्य की उपासना और डूबते सूर्य की पूजा का संदेश अद्वितीय संस्कार से परिपूर्ण है। दुनिया तो उगने वालों को पूजने में लगी रहती है, लेकिन छठ पूजा हमें उनकी आराधना करने का भी संस्कार देती है जिनका डूबना भी पराया निश्चित है।”

स्वच्छता के महत्व की अभिव्यक्ति इस त्योहार में समाई

पीएम मोदी ने कहा, “हमारे जीवन में स्वच्छता के महत्व की अभिव्यक्ति भी इस त्योहार में समाई हुई है। छठ से पहले पूरे घर की सफाई साथ ही नदी तालाब पोखर के किनारे पूजा स्थल यानी घाटों की भी सफाई पुरजोर सब लोग जुड़ कर करते हैं।”

प्रसाद मांग कर खाने की एक विशेष परंपरा

उन्होंने कहा, “सूर्य वंदना या छठ पूजा पर्यावरण संरक्षण रोग निवारण वह अनुशासन का पर्व है सामान्य रूप से लोग कुछ मांग कर लेने को हीन भाव समझते हैं लेकिन छठ पूजा में सुबह के अर्घ्य के बाद प्रसाद मांग कर खाने की एक विशेष परंपरा रही है। प्रसाद मांगने की इस परंपरा के पीछे यह मान्यता भी बताई जाती है कि इससे अहंकार नष्ट होता है। एक ऐसी भावना जो व्यक्ति की प्रगति की भावना में बाधक बन जाती है। भारत की इस महान परंपरा के प्रति हर किसी को गर्व होना स्वाभाविक है।”

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