इस महामारी में देश की सबसे अधिक सेवा कोई कर रहा है, तो कह सकते हैं कि वह भारतीय रेलवे है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में उसके पहिये नहीं थमे। फिर चाहे ऑक्सीजन पहुंचाना हो या किसान रेल के माध्यम से सब्जी और फल शहरों तक पहुंचाना, भारतीय रेल अपनी जिम्मेदारियों को सदैव समय पर पूरा करती रही है। आज इस लेख में हम महामारी के दौरान रेलवे के किये गए प्रयासों पर प्रकाश डालेंगे।
ऑक्सीजन एक्सप्रेस के माध्यम से पहुंचा रही है प्राणवायु
भारतीय रेल द्वारा अभी तक देश के विभिन्न राज्यों में 775 से अधिक टैंकरों में 12,630 मीट्रिक टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) पहुंचाई गई है। ज्ञात हो कि लगभग 200 ऑक्सीजन एक्सप्रेस गाड़ियों ने अब तक अपनी यात्राएं पूरी कर ली हैं। ऑक्सीजन एक्सप्रेस द्वारा 13 राज्यों- उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, पंजाब, केरल, दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश को ऑक्सीजन सहायता पहुंचाई गई है।
बता दें, अप्रैल महीने में कई शहरों में ऑक्सीजन की कमी की बात सामने आ रही थी। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर जल्द ऑक्सीजन की सप्लाई करने की मांग की थी। इस पर केंद्र सरकार और रेलवे ने 19 अप्रैल से ऑक्सीजन की ढुलाई के लिए विशेष रेलगाड़ी चलाने की घोषणा की। ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन ने ग्रीन कॉरिडोर के जरिए शुरुआत में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्य में ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू की। धीरे-धीरे देश के हर कोने तक ऑक्सीजन एक्सप्रेस ऑक्सीजन पहुंचा रही है। इस अभियान में भारतीय रेलवे के साथ भारतीय वायुसेना और नौसेना भी शामिल हुई ।
रेलवे ने बनाए 64,000 से अधिक आइसोलेशन बेड्स
देश मौजूदा समय में जब कोविड की दूसरी लहर के संकट से जूझ रहा है, तो ऐसे में रेल मंत्रालय ने कोविड देखभाल आइसोलेशन कोचों की तैनाती कर, अपनी पहल को फिर से शुरू किया है। इस बार 64,000 बिस्तरों के साथ लगभग 4,000 कोविड देखभाल वाले डिब्बे, देश के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर तैनात किए गए हैं, जिनमें से कुछ पहले से ही कोविड की पहली लहर में मरीजों की आइसोलेशन की जरूरतों को पूरा कर चुके हैं।
86 रेलवे अस्पतालों में लगेंगे ऑक्सीजन संयंत्र
पूरे भारत में 86 रेलवे अस्पतालों में व्यापक क्षमता वृद्धि की योजना है। फिलहाल 4 ऑक्सीजन संयंत्र कार्य कर रहे हैं, 52 स्वीकृत हो चुके हैं और 30 तैयारियों के विभिन्न चरणों में हैं। आगामी कुछ दिनों में सभी रेलवे कोविड अस्पताल ऑक्सीजन प्लांट से लैस होंगे। उम्मीद है, ये अस्पताल देशभर में कोविड से उत्पन्न हालात को काबू करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।
तूफान में भी मदद को तैयार रही रेलवे
चक्रवाती तूफान के बावजूद तेज हवाओं को मात देते हुए, रेलवे ने बीते 17 मई को गुजरात से 2 ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाईं ताकि देश को 150 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके।
रेलवे ने ताउते चक्रवात का सामना करने के लिए सभी उपाय किए। जोनल और डिविजनल कंट्रोलर स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और दक्षिणी रेलवे, दक्षिणी पश्चिमी रेलवे, कोंकण रेलवे, केंद्रीय रेलवे और पश्चिमी रेलवे के सभी रेलवे स्टेशनों के साथ लगातार संपर्क में हैं। किसी भी आकस्मिकता की निगरानी और योजना बनाने के लिए डिवीजन और जोन के अधिकारी राज्य सरकारों के साथ निरंतर संपर्क में हैं।
दुर्घटना राहत ट्रेनों (एआरटी), चिकित्सा राहत वाहनों (एमआरवी) और टावर वैगन जैसी रेलवे की सभी आपातकालीन प्रतिक्रिया को हाई अलर्ट पर रखा गया है। पत्थर की धूल और बोल्डर (पत्थर के हिस्से) आदि के भंडारों को किसी भी प्रकार की दरारों से निपटने के लिए तैयार रखा गया है।
6 हजार रेलवे स्टेशन को वाई-फाई से जोड़ा
सरकार ने भारतीय रेलवे को ‘डिजिटल इंडिया’ मुहिम से जोड़ने का भी बीड़ा उठाया है। इसी कड़ी में भारतीय रेलवे को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी, कि वह देशभर के सभी रेलवे स्टेशनों पर फ्री वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराए और अब भारतीय रेलवे ने देश भर के 6 हजार रेलवे स्टेशनों को मुफ्त वाई-फाई की सुविधा से लैस कर दिया है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रेलवे को इस काम में मात्र पांच साल लगे हैं। रेलवे ने जनवरी 2016 में मुंबई सेंट्रल स्टेशन से मुफ्त वाई-फाई सुविधा की शुरुआत की थी। वर्तमान में देश के 30 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 6 हजार रेलवे स्टेशनों पर यह सुविधा कार्यरत है। इनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक स्टेशन हैं।
माल ढुलाई में भी बनाए रिकॉर्ड.
रेलवे ने वर्ष 2019-20 के सामान्य वित्त वर्ष की तुलना में 2021-21 के दौरान 10 प्रतिशत अधिक रिकॉर्ड माल ढुलाई की है। इससे पहले किसी भी अप्रैल महीने में सर्वश्रेष्ठ माल ढुलाई अप्रैल 2019 में 101.04 मीट्रिक टन रही है। मिशन मोड में भारतीय रेलवे ने अप्रैल, 2021 में 111.47 मिलियन टन माल की ढुलाई की है, जिसमें 51.87 मिलियन टन कोयला, 14.83 मिलियन टन लौह अयस्क, 3.47 मिलियन टन खाद्यान्न, 2.53 मिलियन टन उर्वरक, 3.58 मिलियन टन खनिज तेल, 7.1 मिलियन टन सीमेंट (क्लिंकर को छोड़कर) और 4.88 मिलियन टन क्लिंकर शामिल है।
अप्रैल 2021 में भारतीय रेलवे को माल ढुलाई से 11163.93 करोड़ रूपये की आय हुई।
किसान रेल ने की कृषि अर्थव्यवस्था मजबूत
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए 7 अगस्त को देश की पहली ‘किसान रेल’ को हरी झंड़ी दिखाई थी। अभी तक कुल 100 से अधिक किसान रेल अपनी यात्रा पूरी कर चुकी हैं। 100वीं ट्रेन महाराष्ट्र के सांगली से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक के लिए चलाई गई। बता दें कि कोरोना काल में कृषि उत्पादों की ढुलाई में किसानों को होने वाली परेशानी से राहत देने के लिए किसान रेल चलाई गई है, जिससे अब कृषि उत्पाद काफी सुगमता से देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंच रही है।
किसान रेल, देश के सीमांत किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर आई है। वर्ष 2020 में ही किसान रेल ने 27 हजार टन माल की ढुलाई की।
