असम सरकार ने लड़कियों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए नई तरकीब निकाली है। राज्य सरकार ने 12वीं के बोर्ड परीक्षा में फर्स्ट डिवीजन पास छात्राओं को इनाम में स्कूटी देने का फैसला किया है।
असम सरकार को उम्मीद है कि इनाम के तौर पर स्कूटी देने से छात्राएं कॉलेज जाने के लिए प्रोत्साहित होंगी। कई बार सार्वजनिक परिवहन के खतरों को आगे की शिक्षा के लिए बाधा के रूप में देखा जाता है। असम के शिक्षा मंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ने रॉयटर्स से कहा, “इससे कई छात्राओं को अपने कॉलेज जाने में परेशानी से मुक्ति मिलेगी।”
मंत्री के मुताबिक मुफ्त स्कूटी उन छात्राओं को मिलेगी, जिन्होंने 12वीं के बोर्ड की परीक्षा में 60 फीसदी अंक हासिल किए हैं। छात्राओं को इनाम के तौर पर स्कूटी अक्टूबर के मध्य तक दी जाएगी। सरमा के मुताबिक, “हम इसे लड़कियों को सशक्त करने के तौर पर भी देखते हैं और उन्हें स्वतंत्र बनाना चाहते हैं।”
चाइल्ड राइट्स एंड यू (सीआरवाई) के मुताबिक लंबी दूरी और सुरक्षित परिवहन की कमी के कारण ही लड़कियों की क्लास छूटती है और वे कॉलेज जाना छोड़ देती हैं। सीआरवाई के मुताबिक उसके 2019 के सर्वे से पता चला है कि तीन में से एक लड़की 10 साल की उम्र में स्कूल छोड़ देती है, स्कूली शिक्षा पूरी होने के छह या आठ साल पहले ही उनका स्कूल से नाता टूट जाता है।
गैर लाभकारी संगठन प्रथम के मुताबिक स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियां जिनकी उम्र 11 से 14 साल के बीच है, वे 2018 में 5 फीसदी रह गई, एक दशक पहले यह आंकड़ा 10 फीसदी थी।
लड़कियों के मन से डर दूर करने के लिए कई राज्य सरकारें मुफ्त में साइकिल बांट रही हैं और इसके अलावा बालिकाओं के लिए कई कल्याणकारी कार्यक्रम चला रही हैं। लेकिन सीआरवाई के शोध से पता चलता है कि कई इनाम लड़कियों तक पहुंच ही नहीं पाते या फिर ऐसी योजना का विज्ञापन खराब तरीके से किया जाता है या उसे ठीक से लागू नहीं किया जाता।
सोर्स – दैनिक भास्कर
