देश में फेसबुक और वॉट्सऐप के ‘कंट्रोल’ के विवाद के बीच आईटी मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने फेसबुक को 2 सितंबर को तलब किया है। संसदीय समिति ने फेसबुक के अफसरों के अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के अधिकारियों को भी बैठक में मौजूद रहने को कहा है।
बैठक में ऑनलाइन मीडिया प्लेटफार्म के दुरुपयोग को रोकने और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा पर भी चर्चा होगी। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति इस मामले में फेसबुक का पक्ष सुनेगी। हालांकि, यह समन स्थायी समिति के सदस्यों के बीच खींचतान के बीच आया है। समिति के सदस्य और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने गुरुवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर शशि थरूर पर संसदीय नियम-कायदों के उल्लंघन और कमेटी की गरिमा से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने मांग की थरूर को समिति के चेयरमैन पद से हटाया जाए।
भाजपा सांसद ने कहा कि थरूर ने लोकसभा की प्रक्रिया के नियमों का उल्लंघन किया है। उन्होंने बताया कि मैंने आज लोकसभा अध्यक्ष को एक और पत्र लिखा है, जिसमें उनसे अपील की है कि थरूर समिति की बैठकों में शामिल न हो पाएं।
अमेरिका के अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) ने फेसबुक की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। डब्ल्यूएसजे ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि फेसबुक ने भाजपा नेताओं और कुछ समूहों के ‘हेट स्पीच’वाली पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई करने में जानबूझकर कोताही बरती। उन्हें जल्द नहीं हटाया।
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में फेसबुक की पॉलिसी डायरेक्टर आंखी दास ने भाजपा नेता टी राजा सिंह के खिलाफ फेसबुक के हेट स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया था। उन्हें डर था कि इससे कंपनी के संबंध भाजपा से बिगड़ सकते हैं। फेसबुक को भारत में कारोबार में नुकसान हो सकता है। टी राजा तेलंगाना से भाजपा विधायक हैं। उन पर भड़काऊ बयानबाजी के आरोप लगते रहे हैं।
कांग्रेस ने इस मामले की जांच संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) कराने की मांग की है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था- ‘भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत में फेसबुक और वॉट्सऐप को नियंत्रित करते हैं। वे इनके जरिए फर्जी खबरें और नफरत फैलाते हैं और इनका इस्तेमाल वोटरों को प्रभावित करने के लिए करते हैं। आखिरकार, अमेरिकी मीडिया फेसबुक को लेकर सच्चाई के साथ सामने आया।’
सोर्स – दैनिक भास्कर
