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प्रधानमंत्री मोदी ने चेन्नई से अंडमान निकोबार द्वीप तक बिछे सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर का उद्घाटन किया

चेन्नई से अंडमान निकोबार द्वीप समूह तक हाईस्‍पीड ब्रॉडबैंड कनेक्‍ट‍िविटी के लिए सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को किया गया। यह केबल महज टेक्‍नोलॉजी मात्र नहीं है, बल्कि अंडमान-निकोबार द्वीप समूह को विकास की मुख्‍य धारा से जोड़ने का एक जर‍िया है।

वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी ने कहा कि गहरे समंदर में सर्वे करना, केबल की कनेक्टिविटी को बनाए रखना, विशेष जहाजों के जरिये केबल बिछाना इतना आसान काम नहीं है। जितना बड़ा ये प्रोजेक्ट था, उतनी ही विराट चुनौतियां भी थीं, यहीं वजह थीं कि बरसों इसकी आवश्यकता होते हुए भी इस पर काम नहीं हो पाया थ।

अंडमान निकोबार द्वीप समूह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सामरिक महत्व के कारण अपना विशेष स्थान रखता है। यहां स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वीर सावरकर को काला पानी की सजा के लिए रखा गया था। यह वही जगह है जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले भारतीय तिरंगा लहराया था।

पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में अंडमान निकोबार को ब्रॉडबैंड लाइन से जोड़ने का फैसला किया गया। इतने वर्षों से द्वीप समूह में रहने वाले करीब 4 लाख लोगों के लिए हाईस्‍पीड डाटा की उपलब्‍धता सुगम नहीं थी। 30 दिसंबर 2018 को पोर्ट ब्लेयर में पीएम मोदी ने सबमरीन ऑप्‍ट‍िकल फाइबर प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। आज इसकी सफलता से यहां के लोगों को हाईस्‍पीड इंटरनेट मिल सकेगा।

उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि सारी रुकावटों को किनारे करके इस काम को पूरा किया गया। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास, वर्तमान और भविष्य के लिए इतने महत्वपूर्ण स्थान को, वहां के परिश्रमी नागरिकों को आधुनिक टेलीकॉम कनेक्टिविटी देना देश का दायित्व था। टीम भावना से आज एक पुराना सपना साकार हुआ है। उन्होंने कहा कि अंडमान निकोबार को बाकी देशों से जोड़ने वाला ओफसी, ईज ऑफ लिविंग के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। ऑनलाइन पढ़ाई हो, टूरिज्म से कमाई हो, बैंकिंग हो, शॉपिंग हो या टेलिमेडीसिन हो, अब अंडमान निकोबार के हजारों परिवारों को भी ये ऑनलाइन सुविधा मिल पाएंगी।”

पीएम मोदी ने कहा कि हिन्द महासागर हजारो वर्षों से भारत के व्यापारिक और सामरिक सामर्थ्य का केन्द्र रहा है। अब जब भारत इंडो पैसिफिक में व्यापार-कारोबार और सहयोग की नई नीति पर चल रहा है, अंडमान औऱ निकोबार सहित हमारे तमाम द्वीप का महत्व और अधिक बढ़ गया है। एक्ट-ईस्ट पॉलिसी के तहत पूर्वी एशियाई देशों और समंदर से जुड़े दूसरे देशों के साथ भारत के मजबूत होते रिश्तों में अंडमान निकोबार की भूमिका बहुत अधिक है और ये निरंतर बढ़ने वाली है।

परियोजना पर एक नज़र

इस परियोजना के तहत समु्द्र के अंदर करीब 2300 किलोमीटर लंबा ऑप्‍ट‍िकल फाइबर केबल बिछाया गया। इस ब्रॉडबैंड केबल के आने से पोर्ट ब्लेयर में इंटरनेट की स्‍पीड उतनी ही अच्‍छी होगी जितनी कि दिल्ली-बेंगलुरु में है। इस चुनौतीपूर्ण कार्य को भारत संचार संचार निगल लिमिटेड (बीएसएनएल) ने अंजाम दिया।

इस परियोजना के तहत चेन्नई और पोर्ट ब्‍लेयर के दोनों छोरों से केबल बिछाने का काम 2018 में शुरू हुआ और अंडमान निकोबार के आठ द्वीप समूहों पोर्ट ब्‍लेयर, स्वराज द्वीप, लिटिल अंडमान, कार‍ निकोबार, कमोरता, ग्रेट निकोबार, लोंग आईलैंड और रंगत को जोड़ने के लिए विशेष केबल लैंडिंग स्टेशन बनाये गए। देखे ही देखते 1224 करोड़ रुपए की यह परियोजना योजनाबद्ध तरीके से पूरी हो गई। इस परियोजना के तीन मुख्‍य सेगमेंट का उद्घाटन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इस परियोजना के साथ अंडमान में रहने वाले लोगों और यहां आने वाले पर्यटकों को इस सुपर डिजिटल हाईवे से जोड़ा गया है।

इस परियोजना का रणनीतिक महत्व

दरअसल अंडमान और निकोबार देश के लिए बहुत बड़ा सामरिक महत्व रखता है। हाल के कुछ वर्षों में भारत ने अंडमान निकोबार द्वीपसमूह पर सैन्य गतिविधियों के साथ-साथ व्‍यापारिक व आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। भारत की इन गतिविधियों के कारण भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत का दबदबा भी बढ़ा है। अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे मित्र देशों की नौसेनाओं के लिए अंडमान निकोबार के द्वार खोलने का एक ही मकसद है, नौसेनाओं के बीच बेहतर तालमेल और समन्वय।

यहां से एशिया, अफ्रीका और पैसिफिक के बीच वृहद स्तर पर पोतों का आवागमन होता है। सामरिक दृष्टि से यह द्वीपसमूह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उस जगह पर स्थित है जहां भारतीय महासागर और साउथ चाइना एक दूसरे को काटते हैं। तमाम रक्षा विशेषज्ञ अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह को “Unsinkable aircraft carrier” कहते हैं, यानी जहाजों से लैस ऐसा युद्धपोत जो कभी डूब नहीं सकता।

सामरिक महत्व वाले इस द्वीप समूह पर भारतीय सेना की इंटरनेट जरूरतों को पूरा करने में यह परियोजा लाभप्रद होगी। ऑप्टिकल फाइबर केबल के जरिए भारतीय द्वीपों को जोड़ने की यह पहली परियोजना है। यह परियोजना यहां रहने वाले लोगों के जीवन में बड़ा परिवर्तन लायेगी। इससे यहां के उद्योगों में विस्तार के साथ-साथ कुशल प्रशासन में मदद मिलेगी। इस केबल से बीएसएनएल के साथ-साथ अन्य टेलीकॉम कंपनियां भी यहां अपने टावर लगा सकेंगी।

सोर्स – प्रसार भारती न्यूज़

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