अयोध्या में पीएम मोदी ने भगवान राम के भव्य मंदिर का भूमि पूजन सम्पन्न किया और मंदिर के निर्माण के लिए आधारशिला रखी.
प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर से अयोध्या पहुंचे जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्य लोगों के बीच उनकी अगवानी की। समारोह से पहले, प्रधानमंत्री ने हनुमानगढ़ी मंदिर में प्रार्थना में भाग लिया वहाँ से, उन्होंने ‘श्री राम जन्मभूमि’ की यात्रा की जहाँ उन्होंने ‘भगवान श्री रामलला विराजमान’ के दर्शन किए और एक पारिजात का पौधा भी लगाया। भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित किया और अपना संबोधन जय सिया राम के नारे के साथ शुरू किया.
भगवान रामलल्ला विराजमान के दर्शन करते हुए हनुमान गढ़ी में दर्शन
पीएम मोदी ने पूरे विश्व के सभी रामभक्तों को बधाई देते हुए कहा “ये मेरा सौभाग्य है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मुझे आमंत्रित किया, इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का अवसर दिया. मैं इसके लिए हृदय पूर्वक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का आभार व्यक्त करता हूं. बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे हमारे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा. टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से रामजन्मभूमि आज मुक्त हो गई है. पूरा देश रोमांचित है, हर मन खुश है. सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है.”

उन्होंने आगे कहा, “राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था ,तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था. जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राममंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है, मैं उन सबको आज 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से नमन करता हूं.” पीएम ने कहा, “राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं. कोई काम करना हो, तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं.”
पीएम मोदी ने कहा, “भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए. इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं. श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा. हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा, राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा. ये मंदिर करोड़ों-करोड़ों लोगों की सामूहिक शक्ति का भी प्रतीक बनेगा.”

पीएम मोदी ने आगे कहा, “श्रीरामचंद्र को तेज में सूर्य के समान, क्षमा में पृथ्वी के तुल्य, बुद्धि में बृहस्पति के सदृश्य और यश में इंद्र के समान माना गया है. श्रीराम का चरित्र सबसे अधिक जिस केंद्र बिंदु पर घूमता है, वो है सत्य पर अडिग रहना. इसलिए ही श्रीराम संपूर्ण हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा न देते हों. भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है जिसमें प्रभु राम झलकते न हों. भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं. भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं.”
