कोरोना काल में भारत ने अपनी ताकत को पहचानी है, इसी के तहत रोजगार सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में अब भारत को खिलौना उद्योग के क्षेत्र में मजबूती देने के लिए केंद्र सरकार ने पहल शुरू कर दी है। इसी के तहत उत्तर प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद देश के तमाम बड़े उद्योगपतियों द्वारा नोएडा में खिलौना बनाने की फैक्ट्री लगाने की पहल शुरू हो गई है। कह सकते हैं कि अब वह दिन दूर नहीं जब देश में छोटे बच्चे चीन के खिलौने के बजाए नोएडा में बनाए गए खिलौनों से खेलेंगे।
6,157 लोगों को मिलेगा स्थायी रोजगार
दरअसल, सूबे की सरकार ने खिलौना (टॉय) उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नोएडा के सेक्टर 33 में टॉय पार्क का निर्माण करवाया है। इस पार्क में खिलौना बनाने की फैक्ट्री लगाने के लिए 134 उद्योगपतियों ने भूखंड लिया है। ये 134 उद्योगपति 410.13 करोड़ रुपए का निवेश कर जल्दी ही टॉय पार्क में अपनी फैक्ट्री स्थापित करेंगे। इन खिलौना फैक्ट्रियों में 6,157 लोगों को स्थायी रोजगार मिलेगा।
खिलौना क्लस्टर बनाने के पहल
सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि यूपी का पहला पहला खिलौना क्लस्टर (टॉय पार्क) यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक प्राधिकरण क्षेत्र में विकसित करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद यीडा के सेक्टर 33 में टॉय पार्क के लिए सौ एकड़ से अधिक जमीन खिलौना उत्पादन करने वाली इकाइयों के लिए चिन्हित की गई। इस पार्क में उद्योगपतियों को अपनी फैक्ट्री स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया गया।
134 कंपनियों को जमीन आवंटित
यीडा के अधिकारियों के अनुसार, राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए तैयार कराई गई इन्वेस्टर फ्रेंडली नीतियों के चलते खिलौना कारोबार में कार्यरत कई बड़ी कम्पनियों ने टॉय पार्क में अपनी फैक्ट्री स्थापित करने के लिए कदम बढ़ाए हैं। अब तक 134 कम्पनियों को टॉय पार्क में खिलौना फैक्ट्री स्थापित करने के लिए जमीन आवंटित की गई है। जमीन पाने वाली कम्पनियां जल्दी ही टॉय पार्क में फैक्ट्री लगाने की कार्रवाई शुरू करेंगी।
ये बड़ी कंपनियां लगाएंगी फैक्ट्री
अधिकारियों ने बताया कि टॉय पार्क में जमीन लेने वाली देश की प्रमुख कंपनियों में फन जू टॉयज इंडिया, फन राइड टॉयस एलएलपी, सुपर शूज, आयुष टॉय मार्केटिंग, सनलार्ड अप्पारेल्स, भारत प्लास्टिक, जय श्री कृष्णा, गणपति क्रिएशन और आरआरएस ट्रेडर्स प्रमुख हैं।
देश में असंगठित है खिलौना उद्योग
अभी देश में खिलौना बनाने वाली करीब चार हजार से ज्यादा इकाइयां हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के अंतर्गत आने वाली इन इकाइयों में से 90 फीसद असंगठित हैं। यही इनकी तथा देश की सबसे बड़ी कमजोरी है। जिसका संज्ञान लेते हुए ही सीएम योगी ने खिलौना उद्योग को बढ़ावा दिया है।
2024 तक 147-221 अरब रुपये करने का अनुमान
बता दें कि बीते वर्ष मन की बात में पीएम मोदी ने खिलौना कारोबार में दुनिया में देश की हिस्सेदारी बढ़ाने का आह्वान किया था। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2024 तक भारत का खिलौना उद्योग 147-221 अरब रुपये का हो जाएगा। दुनिया भर में जहां खिलौने की मांग में हर साल औसत करीब पांच फीसद का इजाफा हो रहा है, वहीं भारत की मांग में 10-15 प्रतिशत का। निर्यात की बात करें, तो सिर्फ 18-20 अरब रुपये के खिलौने का निर्यात हो पाता है। भारत में जहां खिलौना निर्माता असंगठित हैं, वहीं खिलौने की गुणवत्ता भी बड़ी चुनौती है। निर्माण में लागत ज्यादा होने की वजह से भारतीय खिलौने अपने ही बाजार में आयातित खिलौने से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते। ऐसे में जरूरी था कि खिलौने की लागत कम करने की दिशा में कदम उठाए जाएं। इसके तहत ही राज्य में टॉय पार्क बनवाया गया है।
चीनी खिलौनों की घटेगी मांग
अधिकारियों के मुताबिक नोएडा में बन रहे टॉय पार्क के चलते अब इन आंकड़ों में बदलाव होना तय है क्योंकि अब आधुनिक तकनीक के जरिए देश में खिलौने बनाने की फैक्ट्रियां लगेंगे। यह खिलौने चीन से बने खिलौनों से सस्ते और टिकाऊ होंगे। चीन के खिलौने मंहगे और जल्दी खराब होते हैं। इसलिए अब यह माना जा है कि नोएडा में खिलौनों का निर्माण शुरू होने के बाद से चीन में बने खिलौनों की मांग उसी तरह से घटेगी।
चीनी झालरों और गणेश लक्ष्मी की घटी है मांग
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अब दीपावली में चीन की बनी झालरों और गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों की मांग घट गई है क्योंकि अब देश में तमाम कम्पनियां सस्ती और टिकाऊ झालरें बनाने लगें है। गणेश लक्ष्मी की मूतियां भी अब बड़ी संख्या में लोग बनाने लगें हैं। आर्थिक विशेषज्ञ डाॅ. रहीस सिंह की मानें तो खिलौनों के मोर्चे पर आत्मनिर्भरता और उनके आयात पर व्यय हो रही विदेशी मुद्रा को बचाने के लिए प्रदेश सरकार की पहल खिलौना उद्योग को मजबूती प्रदान करेगी और जल्दी ही नोएडा में बने खिलौने चीन में बने खिलौनों को चुनौती देंगे।
इनपुट हिंदुस्तान समाचार
