कोविड के बाद पूरी दुनिया में तेजी से बदलाव आया है। साथ ही हर कदम पर नई टेक्नोलॉजी के दौर में बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करने करने के लिए अभी से प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में देश में ‘पीएम श्री स्कूल’ स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इसका उद्देश्य छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करना होगा। ये अत्याधुनिक स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की प्रयोगशाला होंगे।
पीएम श्री स्कूलों के रूप में एक फ्यूचरिस्टिक बेंचमार्क मॉडल
दरअसल, केंद्रीय मंत्री प्रधान गुजरात के गांधीनगर में देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन के सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने बताया कि सरकार पीएम श्री स्कूलों की स्थापना की प्रक्रिया में है, जो छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित होंगे। ये अत्याधुनिक स्कूल एनईपी 2020 की प्रयोगशाला होंगे। उन्होंने पीएम श्री स्कूलों के रूप में एक फ्यूचरिस्टिक बेंचमार्क मॉडल बनाने के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों और संपूर्ण शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र से सुझाव और प्रतिक्रिया मांगी।
भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करना
इस दौरान उन्होंने कहा कि हम अमृत काल के युग में हैं। यह अगले 25 साल भारत को एक ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हम एक सभ्यता हैं जो वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करती हैं और हमें यह महसूस करना चाहिए कि हमारे पास न केवल हमारे राष्ट्र की बल्कि दुनिया की भी जिम्मेदारियां हैं।
प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना चाहिए
मंत्री ने आग्रह किया कि जब हम 21वीं सदी के अवसरों और चुनौतियों के लिए तैयारी करते हैं, तो हमें अपनी शिक्षा और कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कल विभिन्न शिक्षा और कौशल संस्थानों के दौरे के दौरान हम सभी को 21वीं सदी की भविष्य की शिक्षा प्रणाली के विभिन्न आयामों की झलक मिली।
शिक्षक प्रशिक्षण और वयस्क शिक्षा पर भी जोर
केंद्रीय मंत्री ने एनईपी के 5, 3, 3, 4 दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला, जिसमें प्री-स्कूल से माध्यमिक तक, ईसीसीई पर जोर, शिक्षक प्रशिक्षण और वयस्क शिक्षा, स्कूली शिक्षा के साथ कौशल विकास का एकीकरण और मातृभाषा में सीखने को प्राथमिकता दी गई, जो 21वीं सदी के वैश्विक नागरिकों को तैयार करने के लिए कदम हैं।
कोई भी भाषा हिंदी या अंग्रेजी से कम नहीं
वहीं भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी भारतीय भाषाएं राष्ट्रभाषाएं हैं। कोई भी भाषा हिंदी या अंग्रेजी से कम नहीं है। यह है इस एनईपी की मुख्य विशेषता है।
एनईपी का कुशलता पर जोर
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) कुशलता पर भी जोर देती है। उन्होंने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से डाइट को मजबूत करने और विद्यालय के समय के बाद पर्याप्त संख्या में कौशल केंद्रों के साथ स्कूल अवसंरचना का लाभ उठाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि हर राज्य का अपना अनूठा प्रस्ताव होता है। उन्होंने राज्यों को अपनी विशिष्ट जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम को सम्मिश्रित करने के तरीके विकसित करने का सुझाव दिया। साथ ही सभी से अधिक जीवंत शिक्षा परिदृश्य और 21वीं सदी का भारत बनाने के लिए निरंतर एकजुट होकर काम करने का अनुरोध किया।
