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दुनियाभर में फैली भारत के लेमन ग्रास की सुगंध, सबसे बड़े निर्यातकों में से एक बना भारत

पारंपरिक खेती के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार आधुनिक और वैकल्पिक खेती पर भी जोर दे रही है। इसी का परिणाम है कि आज भारत लेमन ग्रास के निर्यात में विश्व में सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कुछ साल पहले तक इसी लेमनग्रास का भारत आयातक था यानि दूसरे देश से मंगाया जाता था, लेकिन आज भारत दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक बन गया है। हर देश से 300-400 टन निर्यात किया जा रहा है। कहीं न कहीं ये किसानों आत्मनिर्भर भारत और किसानों के परिश्रम का नतीजा है।

क्या है लेमन ग्रास

औषधीय पौधों में शुमार नींबू घास या लेमन ग्रास की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। सेहत के लिए गुणकारी लेमन ग्रास कई दवाइयों को बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। देश के कई राज्य खास तौर पर झारखंड के कई जिलों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है।

लेमन ग्रास की पत्तियों और इसके तेल की है मांग

जानकारी के मुताबिक विदेश में भी लेमन ग्रास की मांग भी काफी ज्यादा है। इसकी मांग लेमन ग्रास की पत्तियों और इससे निकलने वाले तेल के कारण है। बाजार में लेमन ग्रास तेल की कीमत 1500 से दो हजार रुपये प्रति लीटर है। एक्सपर्ट के मुताबिक पांच क्विंटल लेमन ग्राम से 75 से 80 किलोग्राम तेल निकलता है। मात्र चार महीने में फसल तैयार हो जाती है। कोरोना काल में सीएसआईआर – सीईसीआरआई ने प्रयोगशाला ने सैनिटाइजर और हैंडवाश भी बनाया,जिसमें सुगंध के लिए सुगंध के लिए लेमनग्रास के तेल का प्रयोग किया।

300-400 टन लेमन ग्रास का निर्यात

दरअसल के निर्यात में किसानों के साथ अरोमा मिशन का खासा योगदान है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद यानि CSIR देशभर में अरोमा मिशन के तहत सुगंध देने वाले फसलों की खेती को बढ़ावा देती है। इसी के तहत कई राज्यों में लेमन ग्रास की खेती एक नया विकल्प बन कर उभरा है। इस बारे में CSIR-CIMAP के निदेशक डॉ प्रबोध कुमार त्रिवेदी के अनुसार, “हर साल लगभग 1000 टन लेमन ग्रास का उत्पादन होता है, और इसमें से 300-400 टन निर्यात किया जाता है।

कोरोना काल में बढ़ी मांग

दरअसल कोरोना काल में औषधीय और पौधों का मांग तेजी से बढ़ी है, जिसने दुनिया भर में लेमन ग्रास की मांग में काफी वृद्धि की है। सीएसआईआर-सीआईएमएपी के अनुसार, लेमन ग्रास का वैश्विक बाजार 2020 में 38.02 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2021 में 41.98 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2028 तक 81.43 मिलियन होने की उम्मीद जताई जा रही है।

लेमन ग्रास सेहत के लिए भी फायदेमंद

लेमन ग्रास को सेहत के लिए किसी वरदान की तरह माना जाता है। विशेषज्ञों की मानें, तो आज कई तरह की दवाइयों में इसका उपयोग किया जा रहा है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-फंगल जैसे गुण पाए जाते हैं। दवाइयों के अलावा कई तरह की अन्य वस्तुओं जैसे कॉस्मेटिक और डिटर्जेंट आदि बनाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।

इन इलाकों में लेमन ग्रास की खेती को बढ़ावा

खास बात ये है कि केंद्र सरकार विदर्भ, बुंदेलखंड, गुजरात, मराठवाड़ा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड जैसे इलाके पर लेमन ग्रास की खेती को ज्यादा बढ़ावा दे रही है। ये ऐसे जगह हैं, जहां किसान हर साल असमय मौसम का सामना करते हैं। सरकार का प्रयास है कि इन जगहों पर सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाए और किसानों को बेहतर मुनाफा प्रदान की जाए। लेमन ग्रास की खेती अधिकतर केरल, महाराष्ट्र, यूपी, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, झारखंड और कई उत्तर-पूर्वी राज्यों सहित पश्चिमी भागों में की जा रही है। दिलचस्प बात यह है कि जानवरों से नुकसान का कोई खतरा नहीं है क्योंकि पत्तियों में मौजूद सुगंधित तेल इसे जंगली या घरेलू जानवरों के लिए अनुपयुक्त बना देते हैं।

स्टार्ट-अप और कृषकों को आकर्षित कर रहा अरोमा मिशन

अरोमा मिशन के तहत सुगंधित पौधों की किस्मों जैसे हिमरोसा सीके 10, पुदीना, लैवेंडर, लेमनग्रास, रोजा ग्रास, ओसिमम, मेंहदी, जंगली गेंदा, साल्विया आदि शामिल हैं। यह परियोजना 14 उच्च मूल्य वाली सुगंधित फसलों को कवर करती है। सीएसआईआर के इस अरोमा मिशन ने किसानों के लिए ग्रामीण रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। उसके जरिए सुगंधित तेलों और अन्य सुगंधित उत्पादों के निर्माण में उद्यमशीलता को बढ़ावा मिला है और आवश्यक उत्पादों और सुगंधित तेलों का आयात कम हुआ है।

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