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डेयरी फार्मिंग बदल रहा ग्रामीण आबादी की आर्थिक स्थिति, 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में देगा योगदान

समय और लोगों की जीवनशैली के साथ खेती और खेती पर आधारित व्यवसाय करने के तरीकों में भी बदलाव आया है। केंद्र सरकार के प्रोत्साहन का परिणाम है कि जागरूकता के इस दौर में खेती और इससे जुड़े व्यवसाय अपना कर लोग अधिक से अधिक आर्थिक संपन्नता की ओर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसा ही कृषि आधारित व्यवसाय है दुग्ध उत्पादन। हमारा देश के कृषि और पशु पालन को एक दूसरे के सापेक्ष माना जाता है। पशुपालन का पर्यावरण को संतुलित रखने में भी बहुत बड़ा योगदान है। विज्ञान और तरक्की के इस दौर में छोटे किसान, बड़े किसान हो या महिला किसान कोई भी पशु पालन की नई तकनीक और संसाधन अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। देश के कई किसान और यहां तक की युवा पशु पालन से दुग्ध उत्पाद का व्यवसाय चला रहे हैं। आइए जानते हैं डेयरी फार्मिंग, इससे जुड़े रोजगार और सरकारी की ओर से चलाई जा रही योजनाओं के बारे में।

भारत में दुग्ध उत्पादन

भारत दुनिया में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है और 2024 तक दूध का उत्पादन 330 मिलियन टन तक बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में डेयरी फार्मिंग ग्रामीण इलाकों में एक बड़ी संभावना के रूप मे सामने आ रही है। डेयरी फार्मिंग कृषि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है। जिसके अंतर्गत दूध उत्पादन, उसकी बिक्री और प्रोसेसिंग करके कई अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं। सरकार दुग्ध उत्पादन के साथ ही इसके प्रसंस्करण पर भी फोकस कर रही है।
इसलिए भारत में दूध उत्पादन पिछले 5 वर्षों के दौरान 6.4% बढ़ा है। जुलाई 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में, 188 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन किया जा रहा है और 2024 तक दुग्ध उत्पादन बढ़कर 330 मिलियन टन तक होने की संभावना है। अभी केवल 20-25% दूध प्रसंस्करण क्षेत्र के अंतर्गत आता है और सरकार की कोशिश इसे 40% तक लेकर जाने की है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत सरकार ने 2025 तक दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को 53.5 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़ाकर 108 मिलियन मीट्रिक टन करने की सुविधा प्रदान की है।

डेयरी फार्मिंग ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव

ग्रामीण अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है और अन्नदाता खेत में अनाज उत्पादन से लेकर दुधारू पशु पालन कर बड़े पैमाने पर दूध का उत्पादन कर रहे हैं। यहां भैंस के दूध का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है हालांकि, भारतीय बाजार में दूध की अन्य किस्मों जैसे गाय का दूध, बकरी का दूध और ऊंट का दूध भी उपलब्ध है, जिनका हर दिन भारी मात्रा में सेवन किया जाता है। केंद्रीय मत्स्यपालन पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मुताबिक डेयरी क्षेत्र 8 करोड़ से ज्यादा किसानों को सीधे रोजगार प्रदान करता है। इसमें मुख्य रूप से छोटे और सीमांत और भूमिहीन किसान है। डेयरी सहकारी समिति अपनी बिक्री का औसतन 75 प्रतिशत किसानों को प्रदान करती है और 2 करोड़ से अधिक डेयरी किसान डेयरी सहकारी समितियों में संगठित हुए हैं और 1.94 लाख डेयरी सहकारी समितियां दूध गांवों से दूध एकत्र कर रही हैं।
भारतीय दुग्ध उत्पाद से जुड़े एक आंकड़े के मुताबिक देश में 70 प्रतिशत दूध का उत्पादन छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसान से ही होती है।
ग्रामीण इलाकों में भूमिहीन किसानों को पशुपालन से जोड़ कर दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिसके तहत गाय, बकरी, भैंस पाल कर न सिर्फ आजीविका चला सकते हैं बल्कि दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में भी योगदान दे रहे हैं। यही वजह है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए आज ग्रामीण इलाकों में कई दुग्ध प्लांट भी लगने लगे हैं, जिससे दूध को प्रसंस्कृत करके दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है।

डेयरी फार्मिंग का बढ़ता कारोबार

डेयरी फार्मिंग से अर्थ मवेशियों के पालन के अलावा उनकी देखभाल, खाने-पीने की व्यवस्था एक समय था जब दूध, दही, छाछ और घी के अलावा देश में दूध से बने अन्य उत्पाद दूसरे देश से आयात किए जाते थे। इसमें ताजा मक्खन, बटर ऑयल, दूध एवं क्रीम पाउडर रूप में, दूध पाउडर, घी आदि बनाए जाते हैं। पहले मक्खन भी हमारे देश में आयात होता है। 1955 में भारत का मक्खन आयात प्रति वर्ष 500 टन था, लेकिन 1975 तक दूध और दूध से बने उत्पादों के सभी आयात बंद कर दिए गए थे क्योंकि देश तब दूध उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो गया था।
डेयरी फार्मिंग के तहत सरकारी और गैर सरकारी दोनों क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं हैं। देश में 500 से अधिक डेयरी प्लांट है, जहां विभिन्न प्रकार के डेयरी उत्पाद तैयार किए जाते हैं। आने वाले समय में देश में इसके बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।

युवा भी जुड़ रहे डेयरी फार्मिंग से

पिछले कुछ वर्षों में डेयरी फार्मिंग बेहतर रोजगार के विकल्प के रूप में सामने आया है। देश के तमाम युवा डेयरी फार्म से जुड़ कर न सिर्फ दुग्ध उत्पादन को बढ़ा रहे हैं बल्कि उसे प्रोसेस कर उन्य उत्पाद भी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेशके बागपत जिले में ऐसा ही कुछ देखने को मिला है, जहां वीरेंद्र त्यागी पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर है, लेकिन अब गांव में डेयरी उद्योग से जुड़ गए हैं और लाखों रुपए सालाना कमा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार की नीति के अंतर्गत उन्होंने डेयरी उद्योग शुरू किया और अब वह दूसरों की नौकरी करने की बजाय दूसरे लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।
डेयरी फार्मिंग का क्रेज बढ़ रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 20वीं पशुधन गणना के अनुसार देश में मादा मवेशियों की कुल संख्या 14 करोड़ 50 लाख से भी ज्यादा है, जो 2012 की तुलना में 18 फीसदी अधिक है।

डेयरी फार्मिंग में बदलाव जरूरी

दूध की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, ऐसे में डेयरी कारोबार कर रहे लोगों के सामने अच्छा विकल्प है। मांग के अनुरूप पूर्ति करने के लिए काफी बदलाव करना होगा। इसलिए डेयरी कारोबार से जुड़े लोग स्मार्ट तकनीकों को अपनाने लगे हैं। दरअसल स्मार्ट डेयरी फार्मिंग में डेटा सबसे महत्वपूर्ण हैं। खास तौर पर पशु के चारे, पोषण, गर्भधारण और दुग्ध उत्पाद की कार्य विधि के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध होती है। विशेषज्ञ भी इस बात को मानने लगे हैं नई तकनीक के बिना दूध की मांग पूरी करना संभव नहीं होगा। हर पशु के बारे में पूरी और सही जानकारी के लिए एक सेंसर डिवाइस पहनाई जाती है। ये डिवाइस उनके गर्दन, पूछ या टांग में पहनाई जा सकती है। इस डिवाइस के जरिए पशु की बीमारी और दूसरी परेशानियों का पता चल सकेगा। इससे समय पर निदान हो सकेगा और दूध उत्पादन भी प्रभावित नहीं होगा। डिवाइस पशु के स्वास्थ्य, खाने और सक्रियता के बारे में भी बताता है। इसके अलावा दूध निकालने की मशीन, पानी और चारा के लिए आधुनिक उपकरण आदि मौजूद हैं।
हालांकि हमारे देश में ज्यादातर पशुपालक छोटे किसान है। जिनका तुरंत डिवाइस लाना संभव नहीं है, ऐसे में उन्हें पशु विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करते रहना चाहिए।

दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए योजनाएं

डेयरी क्षेत्र में बाजार में वृद्धि के लिए प्रसंस्करण, शीतलन, लॉजिस्टिक, पशु चारा इत्यादि में महत्वपूर्ण बुनियादी अवसंरचना निवेश की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, मूल्य संवर्धित डेयरी उत्पादों, जैविक फॉर्म ताजा दूध और निर्यात जैसे क्षेत्रों में नए आकर्षक अवसर मौजूद हैं। डेयरी क्षेत्र में पर्याप्त रूप से एफडीआई किया जा रहा है, जो कि भारतीय खाद्य क्षेत्र में एफडीआई का लगभग 40% है। इस क्षेत्र में बुनियादी अवसंरचना के विकास को सुगम बनाने के लिए, केंद्र और राज्य सरकार द्वारा निवेश को आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं। जिसके तहत डेयरी फार्म से जुड़े या जुड़ने वाली कंपनियों, समूह या व्यक्ति को ऋण या कई तरह की सहायता पहुंचाई जाती है। इन योजनाओं का विवरण इस प्रकार है:

• राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM)
• डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPDD)
• डेयरी प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचा विकास कोष (DIDF)
• डेयरी गतिविधियों में लगे डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (SDC & FPO) की सहायता करना
• राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM)
• पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF)
• पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (LH & DC)
• राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NDCP)

महिलाओं को डेयरी फार्मिंग से जोड़ने के लिए कार्यक्रम

हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग ने ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करने और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के एक प्रयास के तहत डेयरी फार्मिंग में महिलाओं के लिए एक देशव्यापी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया है। आयोग डेयरी फार्मिंग और संबद्ध गतिविधियों से जुड़ी महिलाओं की पहचान और प्रशिक्षण के लिए पूरे भारत में कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग कर रहा है। इन गतिविधियों में मूल्यवर्धन, गुणवत्ता वृद्धि, पैकेजिंग और डेयरी उत्पादों का विपणन अन्य शामिल हैं।

कोरोना काल में क्या रही स्थिति

कोरोना वायरस की वजह से जब देश में लॉकडाउन हुआ है तो इसकी वजह से दूध की सप्लाई भी प्रभावित हुई है। अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों में कई टन दूध और उसके उत्पादन को फेंकना पड़ा। जबकि भारत में विशाल सहकारी नेटवर्क और लाखों डेयरी किसानों ने लॉकडाउन के दौरान भी पूरे देश में दूध की कमी नहीं होने दी, दूध की खपत होती रही। मदर डेयरी, अमूल, नंदिनी, पराग और कई अन्य जैसी सहकारी समितियों ने किसानों से अधिशेष दूध खरीदने के लिए अतिरिक्त मील की दूरी तय की, जबकि देश भर में सैकड़ों दुग्ध प्लांट्स ने अतिरिक्त दूध की आपूर्ति का उपयोग करने के लिए स्किम्ड मिल्क पाउडर का उत्पादन किया। सरकार ने भी किसानों और समितियों के दूध की खपत के लिए दुग्ध स्पेशल ट्रेन चलाई। जो आज भी देश के कई हिस्सों में नियमित रूप से दूध पहुंचा रही है।

गौरतलब हो कि भारत में डेयरी उत्पादन के अंतिम मूल्य का लगभग 50-60% किसानों के पास वापस जाता है, इसलिए, इस क्षेत्र में वृद्धि का किसान की आय पर महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है। डेयरी बाजार का आकार और दूध की बिक्री से किसानों की प्राप्ति का सहकारी और निजी डेयरियों द्वारा संगठित विकास से गहरा संबंध है। इस प्रकार डेयरी फार्मिंग में निवेश ने केवल लाभ देगा बल्कि किसानों को इनपुट पर अधिक लोगों को निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा। जिससे उच्च उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी। साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आजीविका सृजन में भी मदद मिलेगी। जाहिर है डेयरी उद्योग 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करने में भी योगदान देगा।

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