भारत चीन के बीच एलएसी पे टकराव की स्थिति को ठीक करने के लिए सैन्य कमांडर लेवल पे बात चीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है पेंगोंग लेक इलाके में पीछे हटने को लेकर चीन ने न सिर्फ अड़ियल रुख अपनाया हुआ है बल्कि अब उसने पहले भारतीय सेना के फिंगर-2 से पीछे हटने की शर्त रख दी है जो भारतीय पक्ष मानने को त्यार नहीं है चीनी सेना फिंगर-5 से लेकर फिंगर-8 तक के इलाके में डटी हुई है जबकि भारतीय सेना फिंगर-4 के करीब है।
भारतीय सेना फिंगर-2 तक हमेशा मौजूद रही है तथा फिंगर 8 तक वह नियमित रूप से गश्त करती रही है।जून में हुयी हिंसक झड़प के वक़्त चीनी सेना फ़िंगर 4 पर आ गयी थी और भारत और चीनी सेना आमने सामने आ गए थे जुलाई कि बातचीत के बाद चीनी सेना फ़िंगर 4 से हट के फिगेर 5 पे चली गयी और अभी भी वहीं पर है।फिंगर-4 से फिंगर-8 तक ग्रे लाइन है, जहां एलएसी के कुछ अलग नियम हैं। तय समझौते के मुताबिक, भारतीय सेना द्वारा पेट्रोलिंग किया जाने वाले इस इलाके में इस साल अप्रैल तक दोनों ओर से किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया गया था।

सूत्रों के मुताबिक़ चीन चाहता है कि पूरे फिंगर क्षेत्र को बफर जोन बना दिया जाए, जहां किसी देश की सेना न रहे।चीन के इस कदम के पीछे फिंगर क्षेत्र को विवादित क्षेत्र घोषित करने की रणनीति हो सकती है।
भारतीय पक्ष चाहता है कि चीन अप्रैल की स्थिति बहाल करे, जिसमें उसे फिंगर-8 से पीछे हटना पड़ेगा। जब वह हट जाएगा उसके बाद भारत फिंगर-2 पर अपनी पुरानी स्थिति में लौट सकता है,लेकिन चीन इसके लिए त्यार नहीं है।चीन के गलत इरादों का पूरा अनुमान भारतीय सेना को भी है। लिहाजा, इस क्षेत्र में भारतीय सेना ने भी लंबे वक्त तक मोर्चा संभालने की पूरी तैयारी कर ली है.

