Nation

कैसे फटते हैं बादल और क्यों होता है इतना नुकसान जाने सब कुछ

बरसात के मौसम में अक्सर हमें यह सुनने को मिलता है की बादल फट गए हैं, जिससे वहां इतना नुकसान हो गया है इतने लोग मारे गए हैं। लेकिन बादल कैसे फटते हैं हमें यह जानना जरूरी होता है। जब लगभग 1 घंटे में 10 सेंटीमीटर या उससे अधिक बारिश किस क्षेत्र में हो जाता है (1 से 10 किलोमीटर) तो उस घटना को बादल फटना कहा जाता है। जिससे उस क्षेत्र में मूसलाधार बारिश होती है और कभी कभी एक जगह पर एक से अधिक बादल फटने की खबर आती है जिसमें वहां भारी तबाही और जानमाल का नुक़सान हो जाता है।

कैसे फटते हैं बादल

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जब एक जगह पर अचानक भारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं, जिसमें काफी ज्यादा मात्रा में बादल एक जगह पर रुक जाते हैं और उनमें मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिल जाते हैं बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है, जिससे उस जगह भारी बारिश होती है जिसकी रफ्तार 100 मिमी प्रति घंटे की हो सकते हैं। बादल फटने का कारण वहां के भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करता है।दूसरा कारण यह है कि जब बादलों के मार्ग में गर्म हवा का झोंका आ जाए तो भी बादल फटने की घटनाएं एक दो बार देखी गई है।

पहाड़ों पर सबसे ज्यादा क्यों फटते हैं बादल

बादल कहीं भी पढ़ सकते हैं लेकिन ज्यादातर बादल पहाड़ों पर इसलिए फटते हैं क्योंकि पानी से भरे बादल पहाड़ों की ऊंचाई के कारण आगे नहीं बढ़ पाते और फिर एक ही स्थान पर भारी बारिश होना शुरू हो जाता है। भारत के अक्सर उत्तरी इलाकों मे यह देखने को मिलती है क्योंकि छोटी पहाड़ी वाले इलाके मे इन्हें अनुकूल स्थिति ज्यादा मिलती है और मैदानी क्षेत्र में इन्हें इस तरह के भौगोलिक वातावरण नहीं मिल पाता है।

पहाड़ों में होते हैं ज्यादा नुकसान

पहाड़ों पर बादल फटने से ज्यादा नुकसान होता है, क्योंकि पहाड़ों पर परिस्थितियां मैदानी क्षेत्रों के बिल्कुल विपरीत होती है पहाड़ों पर जब तेज बारिश होता है तो वह सैलाब बन जाता है पानी तेजी के साथ निचले इलाके में आना शुरू कर देता है, वह अपने साथ मिट्टी, कीचड़ , पत्थरों के टुकड़े भी लाता है ,जिससे उसके मार्ग में आने वाली हर चीज को वह बर्बाद कर देता। इसका सबसे बड़ा उदाहरण केदारनाथ त्रासदी है जहां बादल फटने के बाद नदियां उफान पर थी और वहां भारी जानमाल का नुकसान हुआ था।

मानसून सत्र में ही क्यों

मानसून सत्र के दौरान या मानसून शुरू होने से पहले इस तरह की घटनाएं होती है जिसका कारण अचानक 10 किलोमीटर के क्षेत्र में हुए मौसम का बदलाव होता है। यह अचानक होता है इसलिए इस का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल होता है। यही कारण है कि मौसम वैज्ञानिक यह तो पता लगा लेते हैं कि किस क्षेत्र में भारी बारिश होगी लेकिन कहां बादल फटेगा यह नहीं बता पाते।

कुछ प्रमुख घटनाएं

16-17 जून 2013 – केदारनाथ में बादल फटे. 10 से 15 मिनट तक तेज बारिश और भूस्खलन से करीब 5 हजार लोग मारे गए.

24 अगस्त 1906 – अमेरिका के वर्जीनिया स्टेट के गिनी में बादल फटने से सबसे अधिक 40 मिनट बारिश हुई. करीब 9.25 इंच बारिश हुई. इससे भारी तबाही हुई है.

11 मई 2016 में शिमला के पास सुन्नी में बादल फटा, भारी तबाही.

28 जुलाई जम्मू के किश्तवाड़ ज़िले के होंज़ार गांव में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ के कारण 20 से अधिक लोग लापता हैं और क़रीब छह से आठ घर पूरी तरह बह गए हैं

News is information about current events. News is provided through many different media: word of mouth, printing, postal systems, broadcasting, electronic communication, and also on the testimony of observers and witnesses to events. It is also used as a platform to manufacture opinion for the population.

Contact Info

Address:
D 601  Riddhi Sidhi CHSL
Unnant Nagar Road 2
Kamaraj Nagar, Goreagaon West
Mumbai 400062 .

Email Id: [email protected]

West Bengal

Eastern Regional Office
Indsamachar Digital Media
Siddha Gibson 1,
Gibson Lane, 1st floor, R. No. 114,
Kolkata – 700069.
West Bengal.

Office Address

251 B-Wing,First Floor,
Orchard Corporate Park, Royal Palms,
Arey Road, Goreagon East,
Mumbai – 400065.

Download Our Mobile App

IndSamachar Android App IndSamachar IOS App

© 2018 | All Rights Reserved

To Top
WhatsApp WhatsApp us