खरीफ सीजन में धान के उत्पादन में कमी और चावल की कीमतों में तेजी की आशंका के बीच सरकार ने कहा कि है घरेलू बाजार में चावल की खुदरा कीमतें नियंत्रण में रहेंगी। उपभोक्ता, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और इसके पर्याप्त भंडार से इसमें मदद मिलेगी। मंत्रालय ने कहा कि टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर सरकार ने घरेलू खाद्य सुरक्षा, पोल्ट्री और पशुओं के लिए घरेलू चारे की उपलब्धता को सफलतापूर्वक सुनिश्चित किया है। इसके साथ ही चावल की घरेलू कीमतों पर भी नियंत्रण रखा है।
चावल और गेहूं की कीमतों में आई गिरावट
मंत्रालय के मुताबिक चावल और गेहूं की अखिल भारतीय घरेलू थोक कीमतों में इस हफ्ते क्रमशः 0.08 फीसदी और 0.43 फीसदी की गिरावट आई है। दरअसल सरकार ने इस महीने की शुरुआत में टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क लगाया था। चावल के उपयुक्त स्टॉक के कारण घरेलू थोक कीमतों में कमी दर्ज की गई है।
चावल की उपलब्धता संतोषजनक
भारत में चावल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बीते दिनों केंद्र सरकार ने टूटे चावल की निर्यात नीति को संशोधित किया था। इसके परिणाम स्वरूप भारत में 217.31 एलएमटी चावल सरकारी बफर स्टॉक में है जो बफर स्टॉक मानदंड से अधिक है। आगामी खरीफ मौसम में, 510 एलएमटी और रबी मौसम में 100 एलएमटी चावल की खरीद की जाएगी। देश में रखा गया बफर स्टॉक सार्वजनिक वितरण प्रणाली की मांग को पूरा करने के लिए जरूरत से ज्यादा है। टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने और बासमती तथा हल्के उबले चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाने के सरकार के हस्तक्षेप से स्थिति पर काबू पाने में मदद मिलेगी। चावल के उपयुक्त स्टॉक के कारण चावल की घरेलू कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार और पड़ोसी देशों की तुलना में नियंत्रण में होगी जहां कीमत तुलनात्मक रूप से अधिक है। चावल की घरेलू कीमत आरामदायक स्थिति में है और कीमतें अच्छी तरह से नियंत्रण में रहेंगी।
क्यों पड़ी निर्यात नीति में संशोधन की जरूरत ?
टूटे चावल की निर्यात नीति में संशोधन किया गया है ताकि घरेलू मुर्गी पालन उद्योग और अन्य पशुओं के चारे की खपत के लिए टूटे चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके और इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन के लिए इथेनॉल का उत्पादन किया जा सके। पशु खाद्य सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मुर्गी पालन क्षेत्र और पशुपालक किसान सबसे अधिक प्रभावित हुए क्योंकि मुर्गियों के चारे की लगभग 60-65 प्रतिशत उत्पाद की लागत टूटे चावल से आती है। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए साकार ने बिना देरी किए आम जनों के हित में सकारात्मक फैसला लेते हुए चावल के निर्यात नीति को संशोधित किया था।
बासमती चावल संबंधित नीति यथावत
सरकार ने हल्के उबले चावल (एचएस कोड = 1006 30 10) और बासमती चावल (एचएस कोड = 1006 30 20) से संबंधित नीति में कोई बदलाव नहीं किया है। भारत से कुल चावल निर्यात का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा हल्के उबले चावल और बासमती चावल का है इसलिए किसानों को अच्छे लाभकारी मूल्य मिलते रहेंगे और आश्रित/कमजोर देशों के पास हल्के उबले हुए चावल की पर्याप्त उपलब्धता होगी क्योंकि वैश्विक चावल निर्यात में भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
धान का MSP में भी की गई बढ़ोतरी
उल्लेखनीय है कि सरकार ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए धान का एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 5.15 फीसदी बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जबकि फसल वर्ष 2021-22 में यह 1,940 रुपये प्रति क्विंटल था। इसके अलावा धान की ‘ए’ ग्रेड किस्म का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,960 रुपये से बढ़ाकर 2,060 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इस बढ़ोतरी का फायदा सीधे तौर पर किसानों को मिलेगा जिससे उनकी आय वृद्धि के साथ-साथ खरीफ सीजन में अधिक से अधिक धान की खेती करने को प्रोत्साहन मिलेगा।
