किसान आंदोलन के चलते बाधित दिल्ली की सड़कों को खोलने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी हाइवे को स्थायी रूप से बंद नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह आंदोलनकारी नेताओं को पक्षकार बनाने का आवेदन दे, ताकि आदेश देने पर विचार किया जा सके। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर किसान नेताओं को बुलाया था, लेकिन वह मीटिंग में नहीं आये। हम चाहते हैं कि उनको कोर्ट में पक्षकार बनाया जाए, वह लोग कोर्ट में आएं। जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले पर अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी।
19 जुलाई को कोर्ट ने हरियाणा और यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने का समय दिया था। इससे पूर्व 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी वजह से सड़कों को ब्लॉक नहीं किया जाना चाहिए। इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश को याचिका में पक्षकार बनाने का आदेश दिया था।यूपी सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि सरकार कोर्ट के आदेश के तहत सड़कों को जाम करने के अवैध काम पर किसानों को समझाने की कोशिश कर रही है। प्रदर्शनकारियों में बुजुर्ग किसान हैं। यूपी सरकार ने कहा है कि गाजियाबाद और दिल्ली के बार्डर पर महाराजपुर और हिंडन पर सड़कों के जरिये यातायात को सुचारू बनाने के लिए डायवर्जन किया गया है।
